Every year New year celebrations are held to welcome coming year and seeoff the out going.It happens only once in a year beacuse Celebration of Joy is not an easy task ,it takes one full year to collect courage to enjoy when it is external ,it can be celebrated every day when it is internal and every moment when it is eternal. So on this auspicious day let us practice to make it internal and try hard to make it eternal.
Monday, December 31, 2012
Friday, December 21, 2012
अपने पर विश्वास आपको दिलाये सफलता और बनाये खास
भौतकी के प्रोफ़ेसर ने तीस विद्यार्थियों की अंतिम परीक्षा के पहले की अंतिम क्लास में छात्रों को उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए आभार व्यक्त किया और विद्यार्थियों को सहयोग के लिए धन्यवाद देते हुए कहा "मुझे मालूम है कि आप लोगो ने काफी मेहनत और लगन से विषय का अध्यन किया है इसलिए आपकी सफलता निश्चित है" तो भी मैं एक बार आप सबकी परीक्षा ले कर पूरी तरह संतुष्ट होना चाहता हूँ ताकि आपकी तैयारी के लिए आपका मार्गदर्शन कर सकूँ । यह सुन कर विद्यार्थियों का तनाव बढ़ने लगा और इसको महसूस करते हुए प्रोफेसर ने घोषणा की, कि आप लोगो को बिना परीक्षा के भी मैं "बी" श्रेणी देने को तैयार हूँ जिन लोगो को स्वीकार है अपनी सहमती देकर जा सकते हैं ।बीस विद्यार्थी अपनी सहमती देकर वहाँ से चले गए। जब प्रोफेसर ने दुबारा बिना परीक्षा के " बी" श्रेणी देनें की घोषणा की तो दुविधा में पड़े हुए छै और विद्यार्थियो ने अपनी इच्छानुसार प्रस्ताव स्वीकार कर प्रोफ़ेसर को धन्यवाद दिया और क्लास से चले गए।
प्रोफ़ेसर ने दरवाजा बन्द किया और बचे छात्रों की उपस्थिति रजिस्टर में दर्ज कर के उनके हाथ में एक पेपर दिया जिसमे लिखा था "बधाई हो आप लोगो को "ए" श्रेणी देने में मुझे प्रसन्नता हो रही है क्योकिं आप सभी लोग अपने आप को "ए" श्रेणी के लायक समझते हैं और आशा करता हूँ की आप अपनी आगे की जिन्दगी में आने वाली सभी परिक्षाओं में भी "ए"श्रेणी से ही उत्तीर्ण होंगे।"
पहले पहल (प्रथम दृष्टिया ) यह अविश्वश्नीय
लग सकता है लेकिन पढ़ाई में अच्छी -से -अच्छी तैयारी करने के बावजूद यदि आपका आत्मविश्वास आपको "ए" श्रेणी नहीं दे रहा है तो आप निश्चित ही "बी"श्रेणी के ही लायक हैं ।और यही बात पढाई खत्म करने के बाद बाकी जीवन की परीक्षाओ में भी लागू होती हैं ।आप सफलता और असफलताओ के अनुभवों से सीखते हुए ही एक बेहतर जीवन का निर्माण करते है, और आप को लोग वही समझते हैं जिसके लिए आपने अपने आपको तैयार किया है फिर चाहे वह आपका नियोक्ता हो या सहकर्मी अथवा सहपाठी।
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि वास्तव में आप अपने बारे में अंपनी राय दो से आठ वर्षो में बना लेते हैं लेकिन बड़ी आयु में भी अपनी क्षमताओ का विकास कर सकते है। सर एडमण्ड हिलेरी ने हिमालय की सबसे ऊँची चोटी पर झंडा फहराने के बाद कहा था "मैंने हिमालय पर नहीं अपितु अपने पर विजय प्राप्त की है।" और यह कहानी केवल सर एडमंड हिलेरी की ही नहीं बल्कि उन सभी लोगों की है जिन्होंने साधनों और व्यव्यस्थाओ से ज्यादा अपनी क्षमताओं का भरोसा किया और आश्चर्य जनक सफलता प्राप्त कर दिखाई ।एक बार आपको यह भरोसा आ जाये कि आप कर सकते हैं तो फिर वैज्ञानिक खोज हो या सात समुन्दर पार करने का प्रकल्प आपकी क्षमतायें उसके लिए विकसित होती हैं और जीत सुनिश्चित हो जाती है।श्री हनुमान जी के जीवन चरित्र से परिचित लोगो को पता है की अपनी क्षमताओं पर विश्वास करने के कारण कैसे एक साधारण वानर ने अदभुत और अविश्वश्नीय कार्यों को कर दिखाया और देवता अर्थात दूसरो को देने लायक बन गऐ।
इसके लिए आवश्यक है कि लगातार नयी चीजें सीख कर अपनी क्षमताएँ विकसित करते रहे,सफल उत्साही एवं उन्नत सोच के लोगो के साथ मित्रता करें और अपना लक्ष्य निर्धारित कर उसको प्राप्त करने में अपनी सारी ताकत लगायें ।अपनी रूचि के विषयों में निपुणता प्राप्त करने का कोई भी मौका हाथ से न जाने दें ।
आत्मविश्वास और घमंड में फर्क समझे। यदि आप चाहते हैं की लोग आप पर और आपकी क्षमताओं पर विश्वास करें तो आवश्यक है की आप अपने साथियों पर विश्वास करें क्योंकि आप की सफलता आपके अलावा जिन लोगो पर निर्भर करती है वह लोग आपके चारो ओर हैं और वह आपकी सफलता के भी भागीदार हैं ।बिना अपनी और अपने साथियों की क्षमताओं में विश्वास किये सफलता असंभव है।
एक अभ्यास मैच के अंत में प्रशिक्षक
ने
झल्ला
कर
सभी
खिलाड़ियों
को
संबोधित
करते
हुए कहा
"अब
सभी मूर्ख
यहाँ
से
जा
सकते
हैं "
एक
खिलाड़ी
को
छोड़
कर
सभी
वहां
से
चले
गए। प्रशिक्षक
ने
आश्चर्य
से
देखते
हुए
एक
मात्र
बचे
हुए
खिलाड़ी
से
पूछा
की
तुम
अभी
तक
यहाँ
क्यों
खड़े
हुए
हो तो
उसने
तपाक से
जवाब
दिया
कि
आपने
मूर्खो
को
बाहर
जाने
को
कहा
था
और
श्रीमन
ऐसा
लगता
है,
कि ज्यादातर
है
भी
किन्तु
मैं
उनमे
से
नहीं
हूँ।यह
सुन
कर प्रशिक्षक
ने
प्रसन्न हो
कर
कहा
की
आज
मैं
विश्वास
पूर्वक
कह
सकता
हूँ
की
तुम
शीघ्र
ही
मेरी
जगह
ले
पाओगे।
याद
रखिये
दुनिया
के
लोग
आपको
वही समझते
है
जो
आप
अपने
को
समझते
है।अत:
आज
से
अपनी
क्षमताओं
पर विश्वास
करना
शुरू
करे,
अपने आपको सम्मान
दें दुनिया
आपको
सम्मान
देने
को
तैयार
खड़ी है।
अजय सिंह "एकल"
अजय सिंह "एकल"
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