प्रिय पाठको,
अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री की घोषणा होने के साथ ऐसा लगता है अब उत्तर प्रदेश के दिन बदलने वाले है . समाज वादी पार्टी को स्पष्ट बहुमत से भी ज्यादा सीटे मिलने के बाद सारी राजनितिक अटकले समाप्त हो गई है. अखिलेश एक तो जवान है ,पढ़े लिखे है देश विदेश में पढ़े और बढे है आधी दुनिया घूम चुके है और पूरी दुनिया का हाल जानते है , अतः कह सकते है की उ.प्र. में थोड़ी देर से सही पर बसंत आ गया है. सही कहा था अखिलेश ने की राहुल अभी तो पर्चे फाड़ रहे है और बाहें चढ़ा रहे है जाब नतीजे आयेंगे तो कही मंच से न कूद जाये. प्रदेश की जनता जिसे कभी राहुल भय्या ने भिखारी कहने की हिमाकत की थी उसने दिखा दिया जनता सिर्फ बेचारी ही नहीं होती वक्त आने पर जनार्दन भी हो जाती है.
लेकिन अगर पिछले चुनाव को याद करे जब मायावती को बहुजन का मत मिला था पांच साल निर्विघन हो कर शासन चलाने के ,सोशल इंजिनयारिंग को नए आयाम देने के लिए , तो भी बसंत आया था पर पांच साल के माया शासन से त्रस्त जनता ने बसंत को बस अंत में बदल दिया और अब मायावती बगले झाक रही है और राज्य सभा के जरिये अपने को सुरक्षा कवर देने के जुगाड़ में लग गई है.
अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री की घोषणा होने के साथ ऐसा लगता है अब उत्तर प्रदेश के दिन बदलने वाले है . समाज वादी पार्टी को स्पष्ट बहुमत से भी ज्यादा सीटे मिलने के बाद सारी राजनितिक अटकले समाप्त हो गई है. अखिलेश एक तो जवान है ,पढ़े लिखे है देश विदेश में पढ़े और बढे है आधी दुनिया घूम चुके है और पूरी दुनिया का हाल जानते है , अतः कह सकते है की उ.प्र. में थोड़ी देर से सही पर बसंत आ गया है. सही कहा था अखिलेश ने की राहुल अभी तो पर्चे फाड़ रहे है और बाहें चढ़ा रहे है जाब नतीजे आयेंगे तो कही मंच से न कूद जाये. प्रदेश की जनता जिसे कभी राहुल भय्या ने भिखारी कहने की हिमाकत की थी उसने दिखा दिया जनता सिर्फ बेचारी ही नहीं होती वक्त आने पर जनार्दन भी हो जाती है.
लेकिन अगर पिछले चुनाव को याद करे जब मायावती को बहुजन का मत मिला था पांच साल निर्विघन हो कर शासन चलाने के ,सोशल इंजिनयारिंग को नए आयाम देने के लिए , तो भी बसंत आया था पर पांच साल के माया शासन से त्रस्त जनता ने बसंत को बस अंत में बदल दिया और अब मायावती बगले झाक रही है और राज्य सभा के जरिये अपने को सुरक्षा कवर देने के जुगाड़ में लग गई है.
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