नंगे पाँव चलते "इन्सान" को लगता है
कि "चप्पल होते तो कितना अच्छा होता"
बाद मेँ..........
"साइकिल होती तो कितना अच्छा होता"
उसके बाद में.........
"मोपेड होती तो थकान नहीं लगती"
बाद में.........
"मोटर साइकिल होती तो बातों- बातों मेँ रास्ता कट जाता"
कि "चप्पल होते तो कितना अच्छा होता"
बाद मेँ..........
"साइकिल होती तो कितना अच्छा होता"
उसके बाद में.........
"मोपेड होती तो थकान नहीं लगती"
बाद में.........
"मोटर साइकिल होती तो बातों- बातों मेँ रास्ता कट जाता"
फिर ऐसा लगा कि.........
"कार होती तो धूप नहीं लगती"
"कार होती तो धूप नहीं लगती"
फिर लगा कि,
"हवाई जहाज होता तो इस ट्रैफिक का झंझट
नहीं होता"
"हवाई जहाज होता तो इस ट्रैफिक का झंझट
नहीं होता"
जब हवाई जहाज में बैठकर नीचे हरे-भरे घास के मैदान
देखता है तो सोचता है,
कि "नंगे पाव घास में चलता तो दिल
को कितनी "तसल्ली" मिलती".....
देखता है तो सोचता है,
कि "नंगे पाव घास में चलता तो दिल
को कितनी "तसल्ली" मिलती".....
"जरुरत के मुताबिक "जिंदगी" जिओ - "ख्वाहिश"..... के
मुताबिक नहीं.........
मुताबिक नहीं.........
क्योंकि 'जरुरत'
तो 'फकीरों' की भी 'पूरी' हो जाती है, और
'ख्वाहिशें'..... 'बादशाहों ' की भी "अधूरी" रह जाती है".....
तो 'फकीरों' की भी 'पूरी' हो जाती है, और
'ख्वाहिशें'..... 'बादशाहों ' की भी "अधूरी" रह जाती है".....
"जीत" किसके लिए, 'हार' किसके लिए
'ज़िंदगी भर' ये 'तकरार' किसके लिए?
जो भी 'आया' है वो 'जायेगा' एक दिन
फिर ये इतना "अहंकार" किसके लिए?
'ज़िंदगी भर' ये 'तकरार' किसके लिए?
जो भी 'आया' है वो 'जायेगा' एक दिन
फिर ये इतना "अहंकार" किसके लिए?
ए बुरे वक़्त !
ज़रा "अदब" से पेश आ !!
"वक़्त" ही कितना लगता है
"वक़्त" बदलने में.........
ज़रा "अदब" से पेश आ !!
"वक़्त" ही कितना लगता है
"वक़्त" बदलने में.........
मिली थी 'जिन्दगी' , किसी के 'काम' आने के लिए.....
पर 'वक्त' बीत रहा है , "कागज" के "टुकड़े" "कमाने" के लिए....
पर 'वक्त' बीत रहा है , "कागज" के "टुकड़े" "कमाने" के लिए....
जिस पल आपकी मृत्यु हो जाती है,
उसी पल से आपकी पहचान एक "बॉडी" बन जाती है।
अरे
"बॉडी" लेकर आइये,
"बॉडी" को उठाइये,
"बॉडी" को सूलाइये
ऐसे शब्दो से आपको पुकारा जाता है,
अरे
"बॉडी" लेकर आइये,
"बॉडी" को उठाइये,
"बॉडी" को सूलाइये
ऐसे शब्दो से आपको पुकारा जाता है,
वे लोग भी आपको आपके नाम से नही पुकारते ,
जिन्हे प्रभावित करने के लिये आपने अपनी पूरी जिंदगी खर्च कर दी।
जिन्हे प्रभावित करने के लिये आपने अपनी पूरी जिंदगी खर्च कर दी।
इसीलिए निर्मिती" को नही
निर्माता" को प्रभावित करने के लिये जीवन जियो।
निर्माता" को प्रभावित करने के लिये जीवन जियो।
जीवन मे आने वाले हर चूनौती को स्वीकार करे।......
अपनी पसंद की चीजों के लिये खर्चा कीजिये।
अपनी पसंद की चीजों के लिये खर्चा कीजिये।
इतना हंसिये के पेट दर्द हो जाये।....
आप कितना भी बुरा नाचते हो ,
फिर भी नाचिये।......
उस खूशी को महसूस किजिये।......
फोटोज् के लिये पागलों वाली पोज् दिजिये।......
बिलकुल छोटे बच्चे बन जायिये।
फिर भी नाचिये।......
उस खूशी को महसूस किजिये।......
फोटोज् के लिये पागलों वाली पोज् दिजिये।......
बिलकुल छोटे बच्चे बन जायिये।
क्योंकि मृत्यु जिंदगी का सबसे बड़ा लॉस नहीं है।
लॉस तो वो है
की आप जिंदा होकर भी आपके
की आप जिंदा होकर भी आपके
अंदर जिंदगी जीने की आस खत्म हो चूकी है।.....
हर पल को खूशी से जीने को ही जिंदगी कहते है।
"जिंदगी है छोटी," हर पल में खुश हूं,
"काम में खुश हूं," आराम में खुश हू,
"जिंदगी है छोटी," हर पल में खुश हूं,
"काम में खुश हूं," आराम में खुश हू,
"आज पनीर नहीं," दाल में ही खुश हूं,
"आज गाड़ी नहीं," पैदल ही खुश हूं,
"आज गाड़ी नहीं," पैदल ही खुश हूं,
"दोस्तों का साथ नहीं," अकेला ही खुश हूं,
"आज कोई नाराज है," उसके इस अंदाज से ही खुश हूं,
"आज कोई नाराज है," उसके इस अंदाज से ही खुश हूं,
"जिस को देख नहीं सकता," उसकी आवाज से ही खुश हूं,
"जिसको पा नहीं सकता," उसको सोच कर ही खुश हूं,
"जिसको पा नहीं सकता," उसको सोच कर ही खुश हूं,
"बीता हुआ कल जा चुका है," उसकी मीठी याद में ही खुश हूं,
"आने वाले कल का पता नहीं," इंतजार में ही खुश हूं,
"आने वाले कल का पता नहीं," इंतजार में ही खुश हूं,
"हंसता हुआ बीत रहा है पल," आज में ही खुश हूं,
"जिंदगी है छोटी," हर पल में खुश हूं,!
"जिंदगी है छोटी," हर पल में खुश हूं,!
आभार
व्हाटसप
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