दोस्तो ,
यदि आप सोच रहे है की स्पेलिंग मिस्टेक के कारण हार्ट अटैक को थाट अटैक लिखा है, क्यों की हार्ट अटैक तो सुना है लेकिन थाट अटैक कभी सुना नहीं,तो आप बिलकुल गलत है। क्योंकि मैं आज आपसे थाट अटैक के बारे में ही बात करने जा रहा हूँ। इसके बारे में आपकी जिज्ञासा शांत करने के बाद इससे बचने के उपाय के बारे में भी बात करेंगे। मेडिकल साइंस का कहना है की किसी भी आदमी की जिन्दगी में ज्यादा से ज्यादा तीन हार्ट अटैक होते है, इससे ज्यादा यह शरीर नहीं सह सकता है। किन्तु थाट अटैक के साथ ऐसा कोई प्रतिबन्ध नहीं है। एक दिन में तीन थाट अटैक भी हो सकते है और शरीर कितने भी थाट अटैक सह सकता है और एक थाट अटैक आपको पागल बना सकता है,अवसाद अर्थात डिप्रेसन दे सकता है इसके अलावा पता नहीं कितनी ही बिमारिओं की जड़ है थाट अटैक।
जरा कल्पना कीजिये रविवार की सुबह आप अख़बार पढ़ते हुए चाय पी रहे है और मन में शाम को परिवार के साथ कही बाहर जाकर कही घूमने का प्लान आप घर में डिसकस करने ही जा रहे थे की आपके बॉस का फ़ोन आ गया और उसने कुछ जरुरी कामों को आज ही खतम करने का जिम्मा आप को सौप दिया। साथ ही यह भी बता दिया की उसे आज अपने परिवार के साथ आउटिंग पर जाना था जिसका वादा उसने कई दिन पहले किया था,इसलिए वह अभी ऑफिस जा कर काम पूरा कर दे साथ ही यह भी बता दिया की यह जरुरी काम इसलिए दे रहा है की वही उसका सबसे विश्वास पात्र है अतः उसे अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
अब जरा दूसरी स्तिथि देखिये। आप ऑफिस में आराम से अपना काम कर रहे है की अचानक एक फ़ोन आया की बेटा स्कूल से अभी तक नहीं आया है जबकि उसे निर्धारित समय के हिसाब से २ घंटे पहले आ जाना चाहिए था। फोन के आते ही मन में तरह तरह की शंकायें किसी अनहोनी के डर से उठ रही है। इस बीच कोई अनजाना फोन आपके पास आता है और आप किसी अनहोनी की आशंका से बड़े चिंतित मन से फोन सुनते है, फोन पर आपके नए जॉब में चुनाव हो जाने की खुशखबरी है किन्तु आपके ऊपर उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता और आप शिष्टाचारवश उसको धन्यवाद देकर फोन बंद करते है और फिर बच्चे की होनी अनहोनी की चिंता में डूब जाते है। तभी एक घंटे के बाद पता चलता है की आपका बच्चा स्कूल की फुटबॉल टीम में सेलेक्ट हुआ है इसलिए उसे स्कूल में प्रैक्टिस के लिए रोका गया था,स्कूल ने इसकी सूचना भी दी थी लेकिन भूल वश वह सूचना कही खो गयी और आपको समय से सूचना नहीं मिल सकी। इसलिए यह सारी चिंता शुरू हुई थी और फिर समय के साथ ठीक हो गयी।
ऐसी स्थितियाँ जीवन में अक्सर आती रहती है ,यह अपना प्रभाव १-२ घंटे से ५-७ घंटे तक या उससे भी ज्यादा समय तक डाले रहती है। कभी -कभी तो हफ्तों या महीनो तक इस तरह के थाट अटैक का प्रभाव देखा और महसूस किया जा सकता है। यह थाट अटैक हमेशा बाहर से आई किसी समाचार से ही होगा ऐसा जरुरी नहीं। पुरानी घटना या दुर्घटना की यादो के आधार पर कोई बात जो अंदर दबे हुए दुःख को जिन्दा करने का कारण बन जाती है थाट अटैक दे सकती है। इसका प्रभाव हार्ट अटैक के जैसा प्रबल हो सकता है और यह किसी की मृत्यु का कारण तक बन सकता है।
इसके दुष्प्रभाव से बचने के क्या उपाय है इस पर यदि विचार करे तो सबसे महत्वपूर्ण बात यह समझ है की हम विचार नहीं है इसलिये विचार को देख सकते है महसूस कर सकते है। विचार को देख पाने की कला आने से आप अपने आप को विचार से अलग कर पाएँगे, पहला कदम सफलता पूर्वक समझने और व्यहार में लाने के बाद आपको एक प्रश्न अपने आप से पूछना है। प्रश्न है की इस विचार (जो आपको अभी अटैक की तरह आया है और परेशान कर रहा है ) के आने के पहले मै कैसा था केवल इस स्थिति को याद करने से आपको समझ आयेंगा कि आप और और विचार अलग -अलग है तथा उसका प्रभाव आप पर उतना ही होगा जितना आप अनुमति देंगे।
इसके बाद आपको एक और प्रश्न पूछना है की इस विचार या इस घटना के बारे में आप १-२ वर्षो के बाद क्या कहने वाले है क्या वही आप अभी कह सकते है। यदि आप स्मृती पर जोर डाल कर सोचेंगे तो आप को पता चलेगा की जीवन में घटी ज्यादातर घटनाये जो जीवन में घटित हुई है उनके बारे में आपकी राय यह है की जो हुआ था अच्छा हुआ था उससे कुछ नई राह निकली है।जीवन भी बेहतर हुआ है तात्पर्य यह है ज्यादातर जीवन में घटने वाली घटनाएँ सुखद परिणाम ले कर आई है परन्तु आने के समय अत्यधिक दुःख और अवसाद देने वाली रही है। इसका प्रमुख कारण यह है की भविष्य के बारे में तो पता बाद में ही चलता है।
ऐसा नहीं है की थाट अटैक हमेशा नेगेटिव प्रभाव ही पैदा करेगा। कई बार यह ऐसे नए घटना क्रम का भी सूत्र धार बन सकता है जो आपको नई दिशा दे सकता ,प्रेरक कामों को करने की रह दिखा सकता है। असल में थाट अटैक नेगटिव और पॉजिटिव दोनों दशा में जीवन को नई दिशा देने का ही काम करता है शर्त केवल इतनी है की आप इसे पहचान ले और सीमा से ज्यादा प्रभाव अपने ऊपर न पड़ने दे।
इस प्रयोग को लगा तार करते रहने से आप दुःख के विचारों को अपने मन पर गहरा असर छोड़ने से रोक पाएंगे और थाट अटैक से अपने को बचा पाएंगे जो हार्ट अटैक की तरह ही नुकसानदायक है किन्तु अज्ञानता के कारण विचार करने का अवसर नहीं हुआ। अब संज्ञान में आने के बाद इसके प्रभाव को कम करना आसान है।
अजय सिंह "जे एस के "
इसके बाद आपको एक और प्रश्न पूछना है की इस विचार या इस घटना के बारे में आप १-२ वर्षो के बाद क्या कहने वाले है क्या वही आप अभी कह सकते है। यदि आप स्मृती पर जोर डाल कर सोचेंगे तो आप को पता चलेगा की जीवन में घटी ज्यादातर घटनाये जो जीवन में घटित हुई है उनके बारे में आपकी राय यह है की जो हुआ था अच्छा हुआ था उससे कुछ नई राह निकली है।जीवन भी बेहतर हुआ है तात्पर्य यह है ज्यादातर जीवन में घटने वाली घटनाएँ सुखद परिणाम ले कर आई है परन्तु आने के समय अत्यधिक दुःख और अवसाद देने वाली रही है। इसका प्रमुख कारण यह है की भविष्य के बारे में तो पता बाद में ही चलता है।
ऐसा नहीं है की थाट अटैक हमेशा नेगेटिव प्रभाव ही पैदा करेगा। कई बार यह ऐसे नए घटना क्रम का भी सूत्र धार बन सकता है जो आपको नई दिशा दे सकता ,प्रेरक कामों को करने की रह दिखा सकता है। असल में थाट अटैक नेगटिव और पॉजिटिव दोनों दशा में जीवन को नई दिशा देने का ही काम करता है शर्त केवल इतनी है की आप इसे पहचान ले और सीमा से ज्यादा प्रभाव अपने ऊपर न पड़ने दे।
इस प्रयोग को लगा तार करते रहने से आप दुःख के विचारों को अपने मन पर गहरा असर छोड़ने से रोक पाएंगे और थाट अटैक से अपने को बचा पाएंगे जो हार्ट अटैक की तरह ही नुकसानदायक है किन्तु अज्ञानता के कारण विचार करने का अवसर नहीं हुआ। अब संज्ञान में आने के बाद इसके प्रभाव को कम करना आसान है।
अजय सिंह "जे एस के "
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