Saturday, September 15, 2018

राम से बड़ा राम का नाम

"एक राम दशरथ घर डोले,
एक राम घट घट में बोले।
एक राम का सकल पसारा,
एक राम त्रिभुवन ते न्यारा।।"

पहला राम रामचंद्र जी महाराज हिंदुस्तान के राजा हुए हैं जो त्रेता युग में आए और अपना काम करके चले गए। दूसरा राम मन है जो अभी यहां है अभी मुंबई चला गया कोलकाता चला गया यह कभी बैठता ही नहीं यह बड़ा चंचल है। तीसरा राम ब्रह्म है जो सारी सृष्टि को पालता है। चौथा राम सतनाम हैं जो खंडों ब्रह्मांडों को बनाता है। जो सभी में रमा हुआ है । वह संतों का राम है। जिस तरह राम चंद्र जी ने राक्षसों को मारा था इसी तरह जो संतों का राम है वह काम क्रोध लोभ मोह और अहंकार रूपी असुरों यानी राक्षसों को मारता है। मतलब कि वह काल की सारी असुरी शक्तियों यानी नेगेटिव पावर को मारता है। राम लफ्ज़ नहीं बल्कि जो ताकत जर्रे-जर्रे में मौजूद है उसे राम कहते हैं। किसी देश किसी कौम किसी मजहब का कोई भी आदमी हो स्त्री हो या पुरुष वह राम वह शब्द वह नाम वह प्यारी से प्यारी धुन सबके अंदर है।



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