दोस्तों ,
आप भी सोचेंगे की यह क्या बात हुई, आखिर दिवाली आप बरसो से हर साल मनाते आ रहे है तो इस बार ऐसी क्या बात है की हम आप को पूछें की दिवाली कैसे मनायें। अब पूछ रहे है तो बता देते है जवाब बड़ा सिंपल है घर की सफाई ,लोगो को बधाई, लक्ष्मी गणेश पूजा और बस हो गयी दिवाली। और क्यों का जवाब तो और भी सिंपल है इस दिन भगवान राम का चौदह बरसो के बाद रावण को मार कर अयोध्या जी आगमन हुआ था इसी ख़ुशी में दीपोत्सव मनाने का रिवाज देश में चल पड़ा और सैकड़ो वर्षो से देशवासी इसे मना रहे है।
असल में समय के साथ चीजे बदलती है और उनका असली उद्देश्य कभी कभी पीछे रह जाता है और हमारे लिए यह केवल कर्म कांड तक सीमित रह जाता है इसलिए क्यों और कैसे का पुनरावलोकन करना आवश्यक है ताकि मूल उद्देश्य की प्राप्ति हो सके और त्यौहार सार्थक हो सके।
1. बोरडम से मुक्ति : त्यौहार के आने पर नियमित क्रियाओं में परिवर्तन से व्यक्ति को बोरडम से मुक्ति का अवसर प्राप्त होता है जो जीवन को नयी ऊर्जा देता है और नयी समझ जीवन को आनंदित करती है।
२. कूड़ा करकट से मुक्ति :किसी भी त्यौहार के आने पर घर की साफ़ सफाई तो नियमित होती ही है लेकिन दीपावली के आने पर विशेष सफाई का प्रावधान है। यानि केवल ऊपर से नहीं तो कूड़ा करकट को हटाना और रंग रोगन से घर को सजाना लक्ष्मी पूजा का ही हिस्सा माना जाता है। परन्तु कूड़ा करकट केवल घर में नहीं दिमाग में भी इकट्ठा होता रहता है और यह एक मौका है दिमाग को सोचने का नया तरीका देने का। तो घर का और दिमाग दोनों का कचरा साफ़ हो यह कोशिश दिवाली को और ज्यादा रंग बिरंगी बनाती है।
३. लोगो के अंदर जाग्रति: त्यौहार हमें अपने रिश्ते नातो को पुनर परिभाषित करने का अवसर प्रदान करता है। त्यौहार में रिश्तेदारो और मित्रो में मिठाई बाटना ,शुभ कामनाओ का आदान प्रदान करना सम्बन्धो को ताजगी देता है और किसी कारण से सम्बन्ध यदि ख़राब हुए है तो उन्हें नए सिरे से पुनर्जीवित करने का अवसर प्रदान करता है। समाज में नयी ताजगी त्यौहारो के माध्यम से आ जाती है।
४. अभिव्यक्ति का अवसर प्रदान करता है त्यौहार : दीपावली के अवसर पर आयोजित दिवाली में तमाम तरह की छुपी प्रतिभाओ को बाहर प्रगट करने का अवसर प्रदान करता है। कुछ लोग रंगोली अच्छी बनाते है तो उनकी इस कला को बाहर आने का अवसर , ग्रीटिंग कार्ड्स बनाना , कविता, नाटक और अन्य कलाएं इस अवसर पर आयोजित प्रतियोगतायो के माध्यम से बाहर आता है।
५. अवसर अप्प दीपो भव होने का : दिया तले अँधेरा इसलिए होता है की वह दीपक पारदर्शी नहीं है। ऐसे ही है हमारा मन। जो बाहर तो ज्ञान का अनुभव इत्यादि की शेयरिंग करता है लेकिन खुद अवसादयुक्त ही बना रहता है। यानि जीवन को कपट मुक्त बनाने का , मन तो पारदर्शी बनाने का , मन को बच्चा बनाने यानि मन को सहज बनाने का अवसर देता है दीपावली का त्यौहार। वरना हर बात में मीन मेख निकलना, दुसरो से तुलना करना और कपट मुक्त के बजाय कपट युक्त व्यहार जो मनुष्य के मन की स्वाभाविक गति है उसको समझने और ठीक कर स्वयं अपना दीप्प बन प्रकशित करने का अवसर है दीपावली का त्यौहार।
इतना समझने के बाद भी यदि आप नए अनुभवों के लिए ग्रहणशील नहीं है और पुराने अनुभव आपको नया लेने से रोक रहे है। यदि हर त्यौहार पर आप अपने मन को रिफ्रेश कर नए अनुभव लेने के बजाय पुराने अनुभवों को ही जी रहे है। आपका मन बार बार याद दिला रहा है की पिछले साल प्रकाश ज्यादा अच्छा था या कपड़े ज्यादा सुन्दर थे मिठाई ज्यादा स्वादिस्ट थी और इसलिए इस बार वह बात नहीं है तो फिर आपकी उम्र यदि २५ साल भी हो तो आप अपने को २५ साल बूढ़ा और यदि नए अनुभव आपको मजा दे रहे है सीखा रहे है आनंदित कर रहे है तो फिर आप अपने को १०० साल का जवान मान कर आराम से जी सकते है और तब आपको त्यौहार की प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी और साल में एक नहीं बल्कि ३६५ दिन दिवाली मनाएंगे।
जय श्री राम।
अजय सिंह "एकल "
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