Sunday, March 15, 2015

कैसे सुने ?

दोस्तों,
हम सभी लोग दिन भर जब भी बात करते है तो सुनते भी है. बोलना और सुनना एक के बाद एक चलता ही रहता है. बातें तरह -तरह की होती है, क्या आपको पता है की किसी बात को कैसे सुनना है ? आइए जरा विचार करे.

आप सड़क पर कही चले जा रहे है और कुछ दोस्त मिल गए और मजाक में कॉमेंट पास कर दिया अपने सुना भी लेकिन सुन कर अनसुना कर दिया और आगे बढ़ गए. यानि कहने वाले ने बिना सोचे कुछ कहा अपने भी इसको ऐसे सुना जैसे कुछ हुआ है नहीं। इसको न तो याद रखने की जरुरत है और न इसके ऊपर किसी प्रकार का कोई काम भविष्य में करना है.यानि न सुनते दिखे न याद रखे.

दूसरी स्थिति है किसी ने आपके बर्ताव की और ध्यान आकर्षित करवाया या आपकी किसी और गलती की और
इशारा किया तो आप इसे लापरवाही से सुनते हुये दिखे तो लेकिन सुने ध्यान से और बाद में इस कमजोरी को कैसे ठीक करे इसका विचार करके इस पर काम करे और यथा शीघ्र इसे अपने स्वभाव से दूर कर अपने व्यक्तित्य में सुधार करें।

तीसरी स्थिति में कोई आपके कान में चुपचाप आकर कुछ कहता है और ऐसा वह आपको कोई विशेष बात बताने के लिए करता दिखाई देता है किन्तु आम तोर पर यह बात कहने वाला अपने आप का ध्यानाकर्षण के लिए करता है।  इसलिये आप को भी इसे महत्व देकर सुनना है ताकि सुनाने वाले की इच्छा पूरी हो बस फिर इसको भूल जाना है क्योकि इसका आपके लिए भविष्य में कोई उपयोग नहीं है.

अगली स्थिति में बात कहने वाला क्या कह रहा है यह महत्व पूर्ण है इसलिए इसे ध्यान से सुने और ध्यान से सुनते हुए दिखे साथ ही इस को  आप ने  भविष्य में उपयोग करना है इसलिए इसे याद रखे और इस पर अमल कर अपने व्यक्तित्व में निखार लाये।

पाँचवी स्थिति तब आती जब आप किसी विद्वान के पास अथवा गुरु के पास जाते है और उसकी छोटी सी बात अथवा लापरवाही से कही हुई बात को भी ध्यान से सुनते है और उसका उपयोग भविष्य में करते है.और अपने व्यक्तित्व में उसे उतार कर अपना कल्याण करते हैं।

यदि दिन भर होने वाली बातो का आप उसे उसकी श्रेणी के अनुसार महत्व दे कर  सुनेंगे तो आप के समय और ऊर्जा का सदुपयोग होगा और उससे  अपेक्षित लाभ भी उठा पाएँगे अन्यथा काम महत्व की बातो पर ध्यान देकर अपना समय भी ख़राब करंगे और सम्बन्ध भी।

अजय सिंह "एकल"

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