Friday, March 27, 2015

असफलता भी सफलता है

 आपको सुन कर आश्चर्य होआ रहा है न, मुझको भी हुआ था जब तक सफलता का मतलब नहीं समझा था. वास्तव में सफलता और  असफलता एक सिक्के के दो पहलू नहीं बल्कि सफलता से एक कदम पीछे की स्थिति है. असफलता केवल यह बताती है की आप सफलता के पास है। इसे एक उदहारण से समझना ठीक रहेगा। एक आदमी पत्थर तोड़ने के लिए उस पर हथौड़ा मार रहा है. यदि उसको तोड़ने में २० प्रहार करने पड़े तो इसका मतलब यह नहीं की उसके १९ प्रहार असफल हो गए.  सच तो यह है की आपको लक्ष्य प्राप्ति बीसवें प्रहार से मिली है किन्तु यहाँ पहुचने के लिए १९ प्रहार भी उतने ही आवश्यक है जितना २०वा। जिसके बिना जिसे आप सफलता मान रहे है वोह प्राप्त नहीं हो सकती थी।

असल में हमारे जीवन में कई चीजे होती है जो दिखाई देती है और कुछ अदृश्य में काम करती है. अदृश्य का प्रभाव तब पता चलता है जब घटना हो जाती है और इसे ही हम ईश्वर की कृपा नाम देते है। उदाहरण के लिए आप हवाई जहाज से जा कहीं जाने की योजना बनाते है और ट्रैफिक जाम के  कारण फ्लाइट  छूट गयी तो आप उन कारणों को स्वाभाविक दोष देंगे ,आप इससे होने वाले नफा और नुकसान का अनुमान लगायेंगे ,आपके साथी और परिवार वाले आपको हर तरह की नसीहत देने में पीछे नहीं रहेंगे, किन्तु आपको तीन घण्टे के बाद पता चला की जहाज की दुर्घटना हो गयी तो आप उन परस्थितिओं को और अदृशय शक्ति यानि ईश्वर का भी धन्यवाद करेंगे जिस कारण  से आपका जीवन सुरक्षित हुआ है.

 इसका मतलब केवल यह है जबतक आपको अपने जीवन में अगले कदम का पता नहीं चलता आप अपने साथ होने वाली घटनाओ और उसके परिणामों के आधार पर सफलता और असफलता का अंदाजा लगाते रहते है। जबकि वह मात्र एक घटना होती है. एक और उदहारण विषय को साफ़ और समझने में मदद करेगा। एक विद्यार्थी पढ़ने में अच्छा है इसलिए उसका चुनाव इंजीनियरिंग में हो जाता है और दूसरे विद्यार्थी के मार्क्स काम होने के कारण वह आर्ट्स विषयो के साथ ग्रेजुएशन करके प्रशासनिक सेवाओं में चला जाता है तो क्या आप इन दोनों में किसी को सफल अथवा असफल कह सकते है ?शायद यह ठीक नहीं है।

आपकी व्यक्तिगत योग्यता,परिस्थितियाँ, आपके पुराने कार्मिक फल  और ऐसे ही तमाम संयोग आपके चारो ओर होने वाली  घटनाओं का कारण बनते है लेकिन आप अपने पुराने अनुभवों के आधार पर आप घटना को और सफलता और असफलता का नाम देते है। 

और अन्त में

 
परिंदो को नहीं दी जाती ,तालीम  उड़ानों    की 
वो खुद ही तय करते है , मंजिल आसमानों   की 
रखता है जो हौसला ,आसमान को छूने का उसको 
नहीं परवाह होती है,    नीचे    गिर जाने    की 


अजय सिंह

नोट : यह आलेख जारी है।

1 comment:

  1. अजय जी आपके सभी कॉलम काफी सटीक और वर्त्तमान से जुड़े मुद्दो से प्रेरित रहते है. व्यक्ति विशेष परिस्तितियो का दास होता है , असफलता जीवन से जुडी नजदीकी परिस्तितियो के ऊपर आधारित होता है , दूर किसने देखा है . वैसे भी सफलता आजकल पैसो से मापा जाता है . आपका आर्टिकल काफी अच्छा लगा , लिखते रहे , लोगो को लाभ ही होगा .

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