*एक शिष्य ने बहुत प्यारी बात कही:---*
*गुरूजी,*
*जब आप हमारी 'शंका' दूर करते हैँ तब आप "शंकर" लगते हैँ*
*जब 'मोह' दूर करते हैँ तो "मोहन" लगते हैँ*
*जब 'विष' दूर करते हैँ तो "विष्णु " लगते हैँ*
*जब 'भ्रम' दूर करते हैँ तो "ब्रह्मा" लगते हैँ*
*जब 'दुर्गति' दूर करते हैँ तो "दुर्गा" लगते हैँ*
*जब 'गरूर' दूर करते हैँ तो "गुरूजी" लगते हैँ*
*इसीलिए तो कहा है।*
*|| गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु*
*गुरुर्देवो महेश्वरा*
*गुरु साक्षात् परब्रम्ह*
*तस्मे श्री गुरुवे नमः।।*
*गुरुर्देवो महेश्वरा*
*गुरु साक्षात् परब्रम्ह*
*तस्मे श्री गुरुवे नमः।।*
।।प्रसिद्घ भारतीय गुर और शिष्य ।।
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गुरु का नाम - शिष्य का नाम
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बृहस्पति समस्त देवगण
शुक्राचार्य समस्त असुर
वशिष्ठ दशरथ एवं श्रीरामजी
संदीपनी श्रीकृष्ण व बलराम
द्रोणाचार्य कौरव एवं पांडव
चाणक्य चन्द्रगुप्त
कुमारिलभट्ट मंडनमिश्र
गोविन्दपाद आद्यशंकराचार्य
समर्थरामदास शिवाजी
नानकदेव समस्त सिख
रामकृष्णपरमहंस विवेकानन्द
स्वामीविरजानन्द दयानन्दसरस्वती
स्वामीविद्यारण्य हरिहरबुक्क
जनार्दनस्वामी एकनाथमहाराज
नरहरिदास तुलसीदास
वल्लभाचार्य सूरदास
धन्य है वो लोग जो गुरु के संपर्क मे है तथा उनके सानिध्य में जीवन मे कुछ ज्ञान और शिक्षा ग्रहण करने का अवसर मिला।
गुरु शब्द और गुरु का जीवन समुद्र की गहराई है जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता है।
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गुरु का नाम - शिष्य का नाम
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बृहस्पति समस्त देवगण
शुक्राचार्य समस्त असुर
वशिष्ठ दशरथ एवं श्रीरामजी
संदीपनी श्रीकृष्ण व बलराम
द्रोणाचार्य कौरव एवं पांडव
चाणक्य चन्द्रगुप्त
कुमारिलभट्ट मंडनमिश्र
गोविन्दपाद आद्यशंकराचार्य
समर्थरामदास शिवाजी
नानकदेव समस्त सिख
रामकृष्णपरमहंस विवेकानन्द
स्वामीविरजानन्द दयानन्दसरस्वती
स्वामीविद्यारण्य हरिहरबुक्क
जनार्दनस्वामी एकनाथमहाराज
नरहरिदास तुलसीदास
वल्लभाचार्य सूरदास
धन्य है वो लोग जो गुरु के संपर्क मे है तथा उनके सानिध्य में जीवन मे कुछ ज्ञान और शिक्षा ग्रहण करने का अवसर मिला।
गुरु शब्द और गुरु का जीवन समुद्र की गहराई है जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता है।
"सब धरती कागज करूँ
लिखनी सब वनराय
सात समुंदर मसि करूँ
गुरु गुण लिखा ना जाये"
लिखनी सब वनराय
सात समुंदर मसि करूँ
गुरु गुण लिखा ना जाये"
गुरु का महत्व -
सात द्वीप नौ खंड में
गुरु से बड़ा ना कोय ।
करता करे न कर सके
गुरु करे सो होय ।
गुरु का हाथ पकड़ने की बजाय अपना हाथ गुरु को पकड़ा दो
क्योंकि हम गुरु का हाथ गलती से छोड़ सकते हैं, किन्तु........
गुरु हाथ पकड़ेंगे तो कभी नहीं छोड़ेंगे
सात द्वीप नौ खंड में
गुरु से बड़ा ना कोय ।
करता करे न कर सके
गुरु करे सो होय ।
गुरु का हाथ पकड़ने की बजाय अपना हाथ गुरु को पकड़ा दो
क्योंकि हम गुरु का हाथ गलती से छोड़ सकते हैं, किन्तु........
गुरु हाथ पकड़ेंगे तो कभी नहीं छोड़ेंगे
गुरु ही ब्रम्हा गुरु ही विष्णु गुरु देवो महेश्वरः ।।
गुरु ही साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवै नमः ।।
गुरु ही साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवै नमः ।।
गुरु के बिना ज्ञान अधूरा है , गुरु ही हमें सही राह दिखाते है ।
इसलिए हमें गुरु की हर आज्ञा का पालन करना चाहिए ।।
प्रभु श्रीराम एवं श्री कृष्ण को भी गुरु के पास शिक्षा प्राप्त करना पड़ी थी।
गुरु भक्ति के कई उदाहरण
हमारे ग्रंथों में हैं ।।
।।�जय हो गुरु देव।।
इसलिए हमें गुरु की हर आज्ञा का पालन करना चाहिए ।।
प्रभु श्रीराम एवं श्री कृष्ण को भी गुरु के पास शिक्षा प्राप्त करना पड़ी थी।
गुरु भक्ति के कई उदाहरण
हमारे ग्रंथों में हैं ।।
।।�जय हो गुरु देव।।
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