Friday, December 30, 2016

नीति वचन

 नीति वचन

 

निन्दन्तु नीतिनिपुणा यदि वा स्तुवन्तु

लक्ष्मीः स्थिरा भवतु गच्छतु वा यथेष्टम्।

अद्यैव वा मरणमस्तु युगान्तरे वा

न्याय्यात्पथः प्रविचलन्ति पदं न धीराः॥

नीति में निपुण मनुष्य चाहे निंदा करें या प्रशंसा, लक्ष्मी आयें या इच्छानुसार चली जायें, आज ही मृत्यु हो जाए या युगों के बाद हो परन्तु धैर्यवान मनुष्य कभी भी न्याय के मार्ग से अपने कदम नहीं हटाते हैं॥

Worldly-wise may insult or praise, wealth may come or go by itself, they may die today or may live for hundred years but men of patience never divert from the path of justice.

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