भगवद चिन्तन
दुनिया में जितने भी धर्म हैं, पंथ हैं, सम्प्रदाय हैं, उन सबका एक ही उद्देश्य है और वो है हमें मानव बनाना। हम छल-कपट के आचरण का त्याग करके सरल और सहज होकर जीवन जीयें, यही धर्म की आज्ञा है।
हमारे कारण किसी को दुःख ना पहुचें, ऐसा निरन्तर चिन्तन ही यज्ञ है। यज्ञ का अर्थ है सब प्रकार की हिंसा से मुक्त हो जाना। यज्ञ करते समय अपने भीतर के पशु को भी होम कर देना सच्चा यज्ञ है। ख़तम ना कर सको तो उसे नियंत्रित कर लो, साध लो, यही साधना है।
भजन है क्या ?
आदत बुरी सुधार लो बस हो गया भजन,
मन की तरंग मार लो बस हो गया भजन।
कोई तुम्हें बुरा कहे उसको करो क्षमा,
वाणी के स्वर संभाल लो बस हो गया भजन।
जाना है सबको एक दिन दुनिया को छोड़के,
जीवन को तुम संवार लो बस हो गया भजन।
अजय सिंह "जे एस के"
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