दोस्तों,
मानव जीवन का उद्देश्य केवल अपने जीवन की शांति और मोक्ष प्राप्त करना न होकर विश्व शांति की कामना एवं इसके लिए काम करना है। ताकि विश्व में सुख एवं शांति हो सके। आज दुनिया में भुखमरी ,बीमारी एवं युद्ध इत्यादि से मानव ग्रसित है। अतः हम सब की यह कोशिश होनी चाहिए की हमारे प्रयासों से
इस नव वर्ष दुनिया में सुखशांति की शुरुवात का वर्ष बने और इसकी शुरुवात पहले दिन से ही हो जाये। इस प्रयास की शुरुवात हमें अपने आप से ही करनी पड़ेगी क्योँकि दुनियाँ तो हम सब से ही मिलकर बनी है। इसको प्राप्त करना कुछ ज्यादा मुश्किल नहीं बस थोड़ा प्रयास और अभ्यास साथ में अपने ऊपर और अपने लक्ष्य में विश्वास से होना संभव हो जायेगा। प्रयास को सार्थक बनाने के लिए कुछ सुझाव दिए गए है इन पर अमल प्रथम लक्ष्य यानि स्वशान्ति प्राप्त करने में निश्चित सहायक होगी।
अंतः शान्ति बाह्य शान्ति की चाभी है : आप वही दे सकते है जो आप के पास है। जैसे केवल धनवान ही दान कर सकता है वैसे ही शांति भी विश्व शांति का प्रयास भी केवल उसी मनुष्य के द्वारा किया जा सकता है जो खुद अपने स्व से अपने अन्तः के ईश्वर से जुड़ा हुआ है। अंदर से शांत व्यक्ति ही इस तरह का स्पन्दन कर सकेगा जो विश्व शांति में सहायक होगी।
सफलता अंतः शांति का उपफल है : शांति केवल द्वन्द या युद्ध की अनुपस्थित नहीं है। और न ही निष्क्रिय अथवा निरुद्मी हो जाने से शांति होती है। शान्ति तो असीमित उत्साह से भरी आशावादी सकारात्मक सोच के कारण प्राप्त होती है और इसका उपफल लक्ष्य प्राप्ति की सफलता है। दिमाग जब विचारों से शांत हो और समझ अपनी उच्च अवस्था में हो,भावनाएं केवल उपस्थित हो और हमारा प्रीतकर व्यहार जीवन को उत्सवकाल में बदल दे तब शांति प्राप्त मानना ठीक रहेगा। अंदर गहरी शांति और बाहर निर्मल पवित्र गति के साथ आगे बढ़ कर लक्ष्य प्राप्ति का प्रयास अतः एवं विश्व शांति के प्रयासों को सफल बना सकता है।
अंतः शान्ति बाहरी चीजों पर निर्भर न हो : शांति हमारा स्वभाव है। बाहरी कारणों से यह केवल छुप गया है। दिन में कुछ मिनट शांत मन से गहरी सांसो पर निगाह टिका कर इस पर विचार करने से हम बाहरी कारणों को पहचान पाएंगे और फिर इसे दूर करना भी संभव हो सकेगा।
दुनिया में सबकुछ परिवर्तन शील है : अंतः शांति प्राप्त करने में जीवन के सिद्धांत सहायक है। ध्यान लगा कर कुछ देर शांत रह जाना आपको पूरी आंतरिक शांति शायद न दे पाए। किन्तु अशांत मन की यह समझ की यह अशांति क्षड़भंगुर है और अंततः गहरी शांति ही हमारा स्वभाव है इसलिए थोड़ी देर में पुनः उसी शांति की स्थित को प्राप्त हो जाने का अभ्यास हो जाने से दीर्घ अंतः शांति प्राप्त करने में सहायक होगी।
ईश्वर हम सबको परम शांति की स्थित प्राप्त करने में सहायता करे और प्रतिदिन हम विश्व शांति की और एक एक कर अपना कदम बढ़ाने का कार्य आज नव वर्ष के पुनीत दिन से प्रारम्भ करे और दुनिया को रहने योग्य एक बेहतर स्थान बनाने सहयोग करे तो एक दिन इस लक्ष्य की प्राप्ति हो सकेगी।
नव वर्ष सभी के लिए मंगलमय हो।
अजय सिंह
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