दोस्तों
निम्न कहानी मुझे व्हाटस अप पर प्राप्त हुयी थी इसको यहाँ पर प्रकाशन का उद्देश्य केवल हर समय याद रह सके है और समय पर इसको बताया जा सके और उपयोग कर जीवन को बेहतर बनाया जा सके है
एक महान लेखक अपने लेखन कक्ष में बैठा हुआ लिख रहा था।
1) पिछले साल मेरा आपरेशन हुआ और मेरा गालब्लाडर निकाल दिया गया। इस आपरेशन के कारण बहुत लंबे समय तक बिस्तर पर रहना पड़ा।
2) इसी साल मैं 60 वर्ष का हुआ और मेरी पसंदीदा नौकरी चली
गयी। जब मैंने उस प्रकाशन संस्था को छोड़ा तब 30 साल हो गए थे मुझे उस
कम्पनी में काम करते हुए।
3) इसी साल मुझे अपने पिता की मृत्यु का दुःख भी झेलना पड़ा।
4) और इसी साल मेरा बेटा कार एक्सिडेंट हो जाने के कारण
मेडिकल की परीक्षा में फेल हो गया क्योंकि उसे बहुत दिनों तक अस्पताल में
रहना पड़ा। कार की टूट फूट का नुकसान अलग हुआ।
अंत में लेखक ने लिखा,
**वह बहुत ही बुरा साल था।
**वह बहुत ही बुरा साल था।
जब लेखक की पत्नी लेखन कक्ष में आई तो उसने देखा कि, उसका पति
बहुत दुखी लग रहा है और अपने ही विचारों में खोया हुआ है। अपने पति की
कुर्सी के पीछे खड़े होकर उसने देखा और पढ़ा कि वो क्या लिख रहा था।
वह चुपचाप कक्ष से बाहर गई और थोड़ी देर बाद एक दूसरे कागज़
के साथ वापस लौटी और वह कागज़ उसने अपने पति के लिखे हुए कागज़ के बगल में
रख दिया।
लेखक ने पत्नी के रखे कागज़ पर देखा तो उसे कुछ लिखा हुआ नजर आया, उसने पढ़ा।
लेखक ने पत्नी के रखे कागज़ पर देखा तो उसे कुछ लिखा हुआ नजर आया, उसने पढ़ा।
1 पिछले साल आखिर मुझे उस गालब्लाडर से छुटकारा मिल गया जिसके कारण मैं कई सालों से दर्द से परेशान था।
2 इसी साल मैं 60 वर्ष का होकर स्वस्थ दुरस्त अपनी प्रकाशन
कम्पनी की नौकरी से सेवानिवृत्त हुआ। अब मैं पूरा ध्यान लगाकर शान्ति के
साथ अपने समय का उपयोग और बढ़िया लिखने के लिए कर पाउँगा।
3 इसी साल मेरे 95 वर्ष के पिता बगैर किसी पर आश्रित हुए और बिना गंभीर बीमार हुए परमात्मा के पास चले गए।
4 इसी साल भगवान् ने एक्सिडेंट में मेरे बेटे की रक्षा की।
कार टूट फूट गई लेकिन मेरे बच्चे की जिंदगी बच गई। उसे नई जिंदगी तो मिली
ही और हाँथ पाँव भी सही सलामत हैं।
अंत में उसकी पत्नी ने लिखा था,
**इस साल भगवान की हम पर बहुत कृपा रही, साल अच्छा बीता।
**इस साल भगवान की हम पर बहुत कृपा रही, साल अच्छा बीता।
मित्रो मानव-जीवन में प्रत्येक मनुष्य के समक्ष अनेकों
परिस्थितियां आती हैं, उन परिस्थितियों का प्रभाव क्या और कितना पड़ेगा, यह
पूरी तरह हमारे सोचने के तरीके पर निर्भर करता है। चीजें वही रहती हैं पर
नजरिया बदलने से पूरा परिणाम बदल जाता है।
अंत में
किसी की मजबूरियाँ पे न हँसिये,
कोई मजबूरियाँ ख़रीद कर नहीं लाता..!
डरिये वक़्त की मार से,
बुरा वक़्त किसीको बताकर नही आता..!
कोई मजबूरियाँ ख़रीद कर नहीं लाता..!
डरिये वक़्त की मार से,
बुरा वक़्त किसीको बताकर नही आता..!
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