दोस्तों
"आपन तेज सँभारो आपै" यह केवल श्री हनुमान चालीसा में लिखी हुई एक चौपाई ही नहीं है बल्कि मनुष्य के मन की असीम क्षमताओं का गोस्वामी तुलसी दास द्वारा पूर्वांकलन है.यह बात न केवल श्री हनुमान जी के लिए अपितु उन सभी लोगो के लिये सत्य है जिन्हे अपनी क्षमता का भरोसा है और उससे भी ज्यादा जरुरी बात यह की उनका लक्ष्य पूर्ति का उद्देश्य अपने लाभ तक सीमित है अथवा उसका लाभ समाज के बड़े तबके के पास पहुचने वाला है.
अजय सिंह
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एक उदहारण के साथ इस बात को समझना आसान होगा। हाल ही में सम्पन्न हुये जनरल इलेक्सन में श्री नरेन्द्र मोदी को जिस तरह का जन समर्थन प्राप्त हुआ है वह कई प्रबंधन विद्यार्थिओं के लिए शोध का विषय है. अपनी अपनी समझ और अनुभवों के आधार पर लोग इसके अलग अलग कारण बताते है किसी के लिए मोदी के भाषण का प्रभावी होना तो किसी के लिए मोदी का संगठन में निपुण होना उनके एक छोटे से व्यसाय से
शुरू कर देश के सबसे बड़े पद तक पहुचने का कारण है. किन्तु मुझे उनकी अद्दुतीय सफलता में उपरोक्त कारणों के अतरिक्त एक कारण नजर आता है वह है अपने लक्ष्य के लिये समर्पित जीवन,और लक्ष्य भी कैसा जो व्यक्तिगत लाभों से दूर पूरी तरह देश हित और जन हित को समर्पित हो तब मिलता है प्रकृति का समर्थन और तब होता है चमत्कार और "आपन तेज सम्भारो आपै " की स्थिती बनती है. इसके साथ ही एक और महत्व की बात यह की महान लक्ष्य की प्राप्ति का श्रेय अपनी टीम और पूर्वजो को और एक लक्ष्य प्राप्ति होते ही नये उच्च लक्ष्य का निर्धारण और योजना पूर्वक उसे प्राप्त करने के लिए चरे वेति चरे वेति का मन्त्र।अजय सिंह