Monday, August 5, 2013

मेरा भजन

है दुनिया उसीकी जमाना उसीका 
श्रवण कर  के जो हो गया हो गुरु का ll

लुटा है जो खोजी सच के सफ़र में 
है जन्नत गुरुद्वारा उसकी नजर में 
उसी ने है लूटा मजा जिन्दगी का 
श्रवण कर  के जो हो गया हो गुरु का ll 

है सजदे के काबिल हर वह दीवाना 
जो बन गया है गुरु का खजाना 
करो यारो इज्जत उसकी दीवानगी का 
श्रवण कर  के जो हो गया हो गुरु का ll 

गुरु आज्ञा में रहना जिसकी अदा 
ध्यान और मनन जिसकी क्रिया है
सताएगा क्या गम उसे जिन्दगी का 
 श्रवण कर  के जो हो गया हो गुरु का ll
 
है दुनिया उसीकी जमाना उसीका 
श्रवण कर  के जो हो गया हो गुरु का ll


Tuesday, May 14, 2013

हारिये न हिम्मत बिसारिये न राम

 हारिये न हिम्मत बिसारिये न राम, के मूल मंत्र में जीवन की सफलता का रहस्य छुपा हुआ है।कठिन से कठिन परिस्थितियो में भी हिम्मत न हारने वाला मनुष्य जीवन में ऊंचाई को प्राप्त कर ही लेता  है।परमेश्वर ने जितनी सम्भावनाये आगे बढ़ने की मनुष्य मात्र को दे रखी है शायद किसी और को नहीं।परन्तु आज का मानव कही न कही अपनी वरिष्ठता, विशिष्टता एवं क्षमता को पहचानने में नाकाम दिखता दिख रहा है।आत्मविकास की बात तो करना दूर की बात है,थोड़ी बहुत बाधाओ  से ही मनुष्य घबड़ाने लगता है।वह अपने अन्दर छिपी शक्ति को पहचान नहीं पा पाता है और संघर्ष करने से घबड़ाता है परन्तु यह समझना अवशयक है की जब हिम्मत साथ होगी,तभी परिणाम की सिद्धी  होगी।

साधारण व्यक्ति जहाँ केवल चिंतन और कर्म का ही भार वहन  करते है वहीँ हिम्मती व्यक्ति आत्म  निरिक्षण, आत्म सुधार और आत्म निर्माण को भी अपने प्रयासों में सम्मिलित करते है।ऐसे  व्यक्ति हर नये दिन को नये  जन्म के रूप में आरंभ करते है। इसलिए जीवन में कई बार मन को संकल्पित किये जाने की आवश्यकता होती है।

इतिहास साक्षी है की जिन्होंने भी परमेश्वर की अनुकम्पा को अनुभूत करते हुए अपने कार्यो को परणित करने का प्रयास किया है वे अवश्य ही सफल हुए है।सकारात्मक सोच रखते  हुए निर्भयता पूर्वक कार्य के प्रति संलग्न होना सफलता का आधार है।नकारात्मक सोंच के लोगो को पास भी न फटकने दे।मित्रता सदैव साहसी बुद्धिमान एवं विश्वासी लोगो से ही करे।उत्साह बढ़ने वाली साहस  व  हिम्मत से भरी बातो ,कहानियों  घटनाओ से प्रेरणा प्राप्त कर  भौतिक जीवन में ही नहीं अपितु  अध्यात्मिक क्षेत्र में भी  सफलता प्राप्त की जा  सकती  है।सतत प्रयास ही आपकी किस्मत का निर्माण करता है अतः कर्म शील बने। भगवान श्री कृष्ण श्रीमदभागवत गीता में यही कहते है कि कई बार उद्देश्य की प्राप्ति  न होने पर  समर्पण की भावना में  कमी आ जाती  है। परन्तु ईश्वर में पूर्ण  विश्वास रख यदि आप जीवन के कार्यो  को करते है तो  जीवन में सफलता कदम चूमेगी।

अजय सिंह  

Friday, May 3, 2013

परिवर्तन निश्चित है,लेकिन सफलता आपका चुनाव

अरे बच्चे कितनी जल्दी बड़े हो गए पता ही नहीं चला।अभी कल तक तो गोद में खेलते थे आज पढाई पूरी करके नौकरी करने लायक हो गए है। इस तरह की बातचीत अपने अक्सर बड़े और बुजुर्गो के बीच सुनी होगी।अवस्था बदल रही है। कल जो बच्चा था आज नौजवान है।कल का नौजवान आज बूढ़ा हो चला है। बस दुनिया का नियम
यही है और यही है जीवन का सार।कल जो सूरज उगा  था वह आज नहीं है क्योकीं समय बदल गया है, कल कोई और तारीख थी आज कोई और तारीख है।कल जो आप या हम थे हम भी वह नहीं है।यह सच है कि  समय पंख लगा कर उड़ता जा रहा है। और हर रोज हर क्षण  दुनिया में चीजे बदल रही है। वास्तव में हमारी आपकी जिन्दगी की यात्रा बदलाव की कहानी है। परिवर्तन के  इस नियम  को स्वीकार कर अपने जीवन की योजना बनाना सफलता की और बढाया गया आपका एक कदम है। आइये देखे  परिवर्तन हमारे जीवन में  कैसे आशा का संचार करता है,कैसे हमारा उत्साह वर्धन करता है, कैसे हमारी उन्नति का साधन बनता है।
मनुष्य स्वभाव से  बदलाव को साधारणतया स्वीकार करना  नहीं चाहता। हाँ यदि बदलाव से कुछ अच्छा होने का आभास पहले से हो या निश्चित हो तो बात अलग है।नौकरी में प्रोन्नति से जब स्थान परिवर्तन होता है तो आम तौर  पर उसे सहज ही स्वीकार कर लिया जाता है।लेकिन अन्यथा इसकी स्वीकार्यता मुश्किल होती है। साथ ही जैसे - जैसे उम्र बढती है तो बदलाव को स्वीकार करना और कठिन होता जाता है। उदहारण के लिए  माता -पिता के स्थानांतरण के बाद नए शहर में जाने का  अवसर आने की  स्थिति  मे बच्चे प्रायः खुश भी रहते और तैयार भी। वहीं  सेवानिवृति के बाद कई बार ऐसी स्थिति बनती है की माता - पिता को अपने बच्चो के साथ उनके शहर में जाना पड़  जाता है तो उन्हें नए शहर में  नए लोगो के साथ रहना असहज लगता है इसलिये शुरू में इसका स्वाभाविक प्रतिरोध होता है।
आम तौर पर परिवर्तन से  भय का कारण  भविष्य की अनिश्चित्ता  है। लेकिन यदि प्रकृति का परिवर्तन का  नियम आपको याद है और आप खुल कर और खिल कर जीने की आदत बना ले तो अनिश्चित्ता को आप भय के बजाय आश्चर्य से देखना शुरू करेंगे और परिवर्तन की सभी स्थितियों को साक्षी भाव से देखते हुये उसका आंनंद ले सकेंगे। दूसरे  जब आप परिस्थितियो  को भय से  देखते है तो उससे ठीक तरह से डील करने की अपनी पूरी क्षमताओं का उपयोग इसलिए नहीं कर पाते है क्योकिं भय आपको मानसिक रूप से कमजोर कर देता है। और आप कमजोर व्यक्ति की तरह समस्या का हल निकाल रहे होते है इसलिए आपके हारने की सम्भावना भी  बढ़ जाती है।
अतः परिवर्तन के द्वारा उत्पन्न होने वाली स्थितयो से निपटने के  लिए मानसिक और शारीरिक  रूप से अपनी तैयारी रखना, इसे ईश्वर का नियम मान कर इसके प्रति ईश्वरीय श्रद्धा   और शुभ  भविष्य के बारे में आशावान बने रहकर आप सफलता की सीढ़ी चढ़ सकते है। याद रखिये जीवन में आने वाले परिवर्तन नई   परिस्थितिओं को स्वीकार करने और उनसे निपटने में आपके धैर्य और कौशल  की परीक्षा लेते है। इनसे जीत कर ही आप को अपने भविष्य को संवार सकते है। 
क्या आपको आसमान से गिरने वाली उस बूँद की कहानी याद है जो बादलों से अलग होते हुये सोच रही थी की भाग्य में न जाने क्या  होने  वाला है। किसी कमल के फूल या अंगारे में गिरना पड़ेगा या फिर धूल  में गिरकर नष्ट होना मेरी किस्मत में लिखा है। लेकिन परिस्थितियाँ  कुछ ऐसी बदली की बूँद सीप के मुँह में गिरकर मोती बन गई । दुनियाँ में ऐसे अनेक उदहारण है जब परिस्थितवश ऐसा लगता है की शायद कुछ बेहतर होना सम्भव नहीं लेकिन उन्ही परिस्थितियो में अक्सर चमत्कार होते देखे गए है। अतः परिवर्तन को ख़ुशी - ख़ुशी स्वीकार करे और उसे बेहतर बनाने के लिये पूरे मन से काम करे और फिर देखे कि  कैसे  आपकी जिन्दगी  चमत्कारों   से भर जाती है। बस ईश्वर  से  मिलने वाली हर कृपा का धन्यवाद करना न भूले।
अजय सिंह 

Saturday, April 20, 2013

आम नहीं खास बने सफलता के लिये

अब जब आपने आम से खास बनने का संकल्प कर ही लिया है तो  इसका रहस्य  समझ ले और कैसे बने आम
से खास इसका नुस्खा आप भी आजमाये और बस बन जाये आम से खास। लेकिन पहले अपने आप से एक प्रश्न करे की आखिर क्यों बनना चाहते है आप आम से खास। क्या इसलिए की खास लोगो को जो सुख सुविधाये मिलती है वह आम आदमी को नहीं मिलती या खास लोगो को जो सम्मान मिलता है वह आपको भी आकर्षित करता है।चलिये कारण कोई भी हो आम से खास बनने का तरीका सरल है और आप थोड़ा ध्यान से इसका अभ्यास शुरू करे और फिर देखिये अपने आप को आम से खास बनते हुए।

ख -अ -स  तीन शब्दों से बना है यह शब्द। ख का मतलब है खुश रहे खुशिया बांटे, अ का मतलब है आश्चर्य करना सीखे, आश्चर्य  करे और स का मतलब है सराहना करना। जब आप खुश रहते है तो आप अपने पास ऐसे लोगो को आकर्षित करते है जो खुश है।और यह खुश है  अपनी उपलब्धियों के कारण। यह लोग  खुश है अपनी समृधि के कारण।यह लोग  खुश है  समाज में अपने उच्च संबंधो के कारण। जब आप ऐसे लोगो को आकर्षित करते है तो खुशिया स्वयं आपकी ओर आकर्षित होती है। इसी तरह जब आप आश्चर्य करते है ईश्वर की बनाई हुयी हर उस चीज को देख कर तो आप एक तरह से आप उसकी  सराहना कर रहे होते है। इससे आपकी ईश्वर से आपकी नजदीकी बढती है नतीजन आप के जीवन में भक्ति बढती है और जीवन श्रेष्ठता की ओर बढ़ता है। सराहना करने  की आदत से आपके व्यक्तिव चुम्बकीय बनता है और आपके आपस में सम्बन्ध अच्छे होते जाते है और जब आपकी टीम और सहयोगी आपका सम्मान बढ़ता है और आप धीरे धीरे सफलता की सीढियाँ चढ़ते जाते है। सफल लोग ही तो खास होते है और यही आपका भी उद्देश्य  है।

आप सोचेगे की सुबह से शाम तक तरह तरह की  कठिनाइयाँ  सहते हुए आखिर  खुश कैसे रह सकते है, तो हम आपको बता दे यदि आप की खुशियाँ बाहरी चीजो या लोगो पर निर्भर है तो फिर आप जिन्दगी भर खुशियाँ  बस ढूंढ़ते  ही रहिये और वह जंगल की रेत में पड़ने वाली धूप की तरह पानी का आभास तो देगी लेकिन वहां पानी कभी नहीं मिलेगा क्योकिं असल में वहां पानी है ही नहीं।दरअसल खुश रहना एक आदत जो बाहरी चीजो और सम्बन्धो पर निर्भर नहीं करता है  बल्कि आपकी मानसिक स्थित को परिलक्षित करता है। नतीजतन  खुश रहने से आपका व्यक्तित्व चुम्बकीय बनता है और आप सफल और खुश लोगो को आकर्षित करते है और यह आपको भी सफल लोगो के साथ खड़ा करता है। इस तरह  सफलता के लिए आवश्यक गुणों का अभ्यास करते हुये आप भी उस श्रेणी में कब  शामिल हो गये पता भी नहीं चलता।

सुबह सूरज बिना किसी के प्रयास के निकलता है और फिर समय से डूब जाता है। फूल बिना किसी मदद के अपने आप खिलते और खुशबू देते है।वृक्ष  बिना किसी निर्देश के अपने आप समय पर फल  देते    है और पकने पर अपने आप गिरते है। क्या आपको  कभी प्रकृति के स्वभाव पर आश्चर्य हुआ है। यह सारी  चीजे अपने आप  इसलिए होती है की यह इनका अपना स्वभाव है। तो यदि आपने अब तक ईश्वर की  बनाई चीजो को देख और उसकी कला,खुबसूरती,समय बद्धता  को देख  आश्चर्य प्रकट नहीं किया है तो करे यह आदत आपको हर समय और हर जगह  ईश्वर की उपलब्धता का एहसास दिलाएगी और यही तो भक्ति है, यही तो तरीका है ईश्वर से निकटता का  । जरा देखिये तो कैसे अपने आप मौसम बदलते   है। कैसे अपने आप हवा चलती है कैसे अपने आप चीजे हो रही है और  इसे देख करिये ईश्वर का गुणगान।

सराहना करना और एक ऐसा गुण है जो आपको सफलता  की ओर अग्रसर करता है। जब आप किसी से मिलते है तो आप उसकी या तो सराहना  या आलोचना करते है। हर व्यक्ति का एक खास गुण होता है यदि आप उस गुण को जल्द से जल्द पहचान कर उसकी सराहना शुरू करने की आदत बनाये तो आपको इसके मौके भी जल्दी जल्दी मिलने लगेंगे। याद रखिये जब आप किसी लक्ष्य पर काम करते है तो वह लक्ष्य भी आप पर काम करता है। और इस तरह आप ईश्वर की बनायी चीजों की सराहना करके अप्रतक्ष्य तरीके से आप  ईश्वर की सराहना कर रहे होते है और दिनों -दिन उसके प्रिय होते जाते है और उसकी कृपा पाने के पात्र भी । ईश्वर का प्रिय होना ही तो जीवन की सच्ची सफलता है।

अब देर किस बात की है बस आज  और अभी से शुरू कीजिये खास बनने की तैयारी और खास बनने के लक्ष्य पर काम करना शुरू कीजये और बन जाइए खास।
अजय सिंह 


Sunday, March 24, 2013

धन्यवाद करने की आदत है कामयाबी की गारन्टी

"थैंक यू सर,यदि आपने  समय पर मेरी मदद न की होती तो शायद मैं आज यहाँ नही होता बल्कि कहीं गुमनामी के अँधेरे में पड़ा अपने भाग्य को कोस रहा होता "  ऐसे संवाद आपने  जरुर सुने और किये होंगें। लेकिन यह महज एक संवाद नहीं बल्कि अपने ऊपर हुई कृपा की ईश्वर को  आभारोक्ति है और क्योंकि पृथ्वी पर कृपा का माध्यम मनुष्य है इसलिए यह प्रतिदान उस मनुष्य को है जिसने  ईश्वर का उपहार आप तक पहुँचाया है।

धन्यवाद या थैंक यू  केवल दो शब्द नहीं है बल्कि यह जिन्दगी में सौभाग्य और कामयाबी की गारन्टी है।आमतौर पर शिष्टाचार वस् प्रयोग किये जाने वाले यह शब्द आपके लिए केवल सफलता का द्वार  ही नहीं खोलते है  अपितु यह आपके लिए वह चमत्कार कर सकते है जो शायद अन्यथा संभव नहीं है।बस जरुरत केवल इस बात की है कि  इसका जादुई इस्तेमाल कब कहाँ और कैसे करना है यह सीख कर सही समय पर सही तरीके से इस्तेमाल किया जाये।

आमतौर पर हम किसी एहसान या कृपा के लिये तो धन्यवाद शिष्टाचार वस कर देते है लेकिन अगर कोई बात मन मुताबिक न हो तब तो किसी प्रकार का आभार व्यक्त करना तो दूर उसे उल्टा  सीधा बोलने भी में  देर नहीं लगाते है। जबकि सत्य यह है की  अच्छी बातें तो अच्छे के लिए  होती ही है किन्तु प्रत्यक्ष ख़राब लगने वाली बातें भी अच्छे के लिए ही होती है। उदाहरण के लिए माता -पिता उपहार दे तब तो धन्यवाद करना स्वाभाविक है किन्तु परीक्षा में नम्बर कम आने पर   या किसी बात को छुपाने के लिए आप झूठ बोले और वोह पकड़ा जाये उसके बाद पड़ने वाली डांट -पिटाई को भी यदि हम ईश्वर के द्वारा सही राह दिखाने वाला मान कर धन्यवाद  वयक्त कर सके तो वास्तव में जीवन में अकल्पनीय परिवर्तन हो जाता है क्योकिं  विपरीत और अप्रिय परिस्थितयों में भी आभार प्रगट कर पाना आपके जीवन में चमत्कार कर देता है।इसका कारण है आभार प्रकट करना सामने वाले के द्वारा किया जाने वाले काम की आपके द्वारा स्वीकारोक्ति है और स्वीकार एक प्रकार का समर्पण है जो अहंकार को ख़त्म करता है जो कि  ज्यादातर बुराइयों का कारण होता है।

इसी प्रकार  जब हम अपने साथ किये जाने वाले  छोटे -छोटे उपकारो के लिए धन्यवाद प्रकट करते है तो सम्बन्धो में मिठास बढती है और हम अपने लिए सकरात्मक वातावरण तैयार करते है जो हमारे जीवन में एक सीढ़ी का काम करती है और ईश्वर के द्वारा की जाने वाली कृपा को आकर्षित करती है।

यदि आपके पास वह  सबकुछ नहीं है जो आपको चाहिये तो  इसलिए ईश्वर का  धन्यवाद कीजिये क्योकिं यह स्थिति आपको सदा आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा देती है। सिकंदर एक बार  जब युद्ध के लिए निकल रहा था अचानक उसका बेटा रोने लगा। सिकंदर ने अपने बेटे से कहा मैने तुम्हारे लिये आधी  दुनिया जीत ली है और बाकी जीतने  के लिए  मैं फिर  युद्ध करने जा रहा हूँ बेटे ने कहा की इसीलिए तो रो रहां हूँ की यदि आप सब जीत  लेंगे तो मेरे करने के लिए क्या बचेगा और मेरे बाद फिर लोग मुझे किस बात के लिए याद रखेंगे।

 जो कला ,जो ज्ञान आपके पास नहीं है उसका धन्यवाद कीजिये क्योकि यह आपको नया सीखने  के लिए उत्साहित करता है।जीवन में आने वाली कठनाईओं  का धन्यवाद कीजिये क्योकि यह चुनौतिया ही आपको श्रेष्ठ काम करने के लिए प्रेरित करती हैं और इनको जीत  कर आप अपनी उपयोगिता सिद्ध करते है।

अपनी कमियों का भी धन्यवाद करें यह कमिया आपके लिए  उन्नति के नए  अवसर लाती है।हर नई चुनोती आपकी ताकत  बढाती है  और चरित्रवान बनती है।अपनी गलतियो का भी धन्यवाद करे क्योंकि यह आपको जीवन की पाठशाला के महत्वपूर्ण  पाठ  सिखाती है।

आज और अभी से धन्यवाद देने की आदत बनाइये और इसके लिए किसी बड़े मौके की तलाश न करके हर छोटे बड़े मौके पर इसका खूब उपयोग करे तो जीवन में सकारात्मक परिवर्तन निश्चित ही आने शुरू हो जायेंगे। सुबह उठ कर सबसे पहले ईश्वर का धन्यवाद करे  जिसने आपको एक और दिन एक अवसर प्रदान किया कुछ अच्छा करने के लिए। इसके बाद जो लोग आपके जीवन के सहभागी है उनका धन्यवाद करे क्योकि उनके सहयोग के बिना जीवन को  इतना सुन्दर व्यतीत करना संभव नहीं है और दिन के अंत में सोते समय पुनः ईश्वर का धन्यवाद जिसने आपका दिन इतना सुन्दर बनाया की आप अपने जीवन को  परिवार और समाज के लिए उपयोगी बना सके। 

अजय सिंह 


Tuesday, March 19, 2013

12 Great Motivational Quotes for 2013





12 Great Motivational Quotes for 2013



At the start of every year, I create a list of quotes to guide and inspire me for the next 12 months. Here are the quotes I've selected for 2013:
  1. "Cherish your visions and your dreams as they are the children of your soul, the blueprints of your ultimate achievements."
    Napoleon Hill

  2. "The key to success is to focus our conscious mind on things we desire not things we fear."
    Brian Tracy

  3. "Success is getting what you want. Happiness is wanting what you get."
    Dale Carnegie

  4. "Obstacles are necessary for success because in selling, as in all careers of importance, victory comes only after many struggles and countless defeats."
    Og Mandino

  5. "A real decision is measured by the fact that you've taken a new action. If there's no action, you haven't truly decided."
    Tony Robbins

  6. "If you can't control your anger, you are as helpless as a city without walls waiting to be attacked."
    The Book of Proverbs

  7. A mediocre person tells. A good person explains. A superior person demonstrates. A great person inspires others to see for themselves."
    Harvey Mackay

  8. "Freedom, privileges, options, must constantly be exercised, even at the risk of inconvenience."
    Jack Vance

  9. "Take care of your body. It's the only place you have to live."
    Jim Rohn

  10. "You can have everything in life you want, if you will just help other people get what they want."
    Zig Ziglar

  11. "The number of times I succeed is in direct proportion to the number of times I can fail and keep on trying."
    Tom Hopkins

  12. "You have everything you need to build something far bigger than yourself."
    Seth Godin

Courtesy

Sunday, March 17, 2013

नेतृत्व करे आगे बढ़े


सड़क पर अपने आफिस जाते हुये एक जगह  रास्ते में भीड़ लगी  देख राघव ने तेजी  से  अपनी कार में ब्रेक लगाई  और उतर कर देखा तो एक मोटर साईकल और उसका चालक गिरे पड़े थे और  भीड़ दुर्घटना के कारणों पर चर्चा कर रही थी। राघव ने फुर्ती से आगे बढ़ कर चालक की नब्ज देखी  जो धीरे-धीरे चल रही थी। तुरन्त निर्णय लेते हुए राघव ने वहाँ खड़े लोगो से मदद का आग्रह किया और दुर्घटना से चोट खाये हुए व्यक्ति को पास के अस्पताल ले जाते हुए  वहाँ खड़े एक व्यक्ति से निवेदन किया की वह आपातस्थिति  के नंबर पर काल कर पुलिस को पूरा विवरण दे कर उसे भी अस्पताल भेज दे। अस्पताल में मरीज को  भर्ती करवा कर उसके  परिवार को सूचित किया और फिर  आफिस गया। आफिस में देर से पहुँचने के कारण  बाँस के सामने पेशी हुई और जब राघव ने कारण बताया तो बाँस ने न केवल राघव की प्रशंसा सभी लोगो के सामने की बल्कि पदोन्नती के लिए  भी नाम की अनुशंसा की।


यदि आप के पास भी भीड़ से अलग कर दिखाने का साहस है तो आप किसी भी परिस्थिति  में अपने नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन कर सकते है। वास्तव में दुनिया में तीन  तरह के लोग होते है एक जो आगे बढ़ कर हालात के अनुसार तुरंत निर्णय ले कर एक्शन  लेते है , दूसरे प्रकार के लोग एक्शन  लेने वालों का सहयोग करने लगते है, और तीसरे तरह के लोग केवल लोगो को एक्शन लेते हुये देखते रहते है और उनके किये की तारीफ या बुराई करने में लगे रहते है और जीवन ऐसे ही निकाल देते है।एक मनोवैज्ञानिक शोध से पता चला है  कि  केवल पाँच प्रतिशत लोग ऐसे है जिनमे आगे बढ़ कर चुनौती को स्वीकारने और फिर उसका समाधान करने का साहस होता है। पन्द्रह से बीस प्रतिशत लोग पीछे सुरक्षित होकर चलना पसंद करते है और बाकी  लोग पूरी जिन्दगी  भीड़ का हिस्सा बने रहते है।अब आपको यह तय करना है कि आप  कहाँ रहना चाहते है।

यदि आप में नेतृत्व के स्वाभाविक गुण यानी संवेदनशीलता,साहस,आत्म विश्वास और दूसरे लोगो के साथ आगे बढ़ने की इच्छा शक्ति है तो आप भी आगे बढ़ कर चाहे आफिस हो या खेल का मैदान अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन कर सकते है।आपका यह गुण आपको न केवल दूसरो  से आगे रखने में मदद करेगा बल्कि आप अपने लिए वह मुकाम बना सकने में भी सफल होंगे जिसके बारे में ज्यादातर लोग केवल सोच ही सकते है।

नेतृत्व करने के लिए आपको जिन गुणों का विकास करना है वह  है लक्ष्य निर्धारण  यानी जहाँ आप पहुंचना चाहते है वहां पहुचने के लिये आप अपनी टीम को  सहमत कर  साथ में सामूहिक लक्ष्य पर काम करने के लिए  प्रोत्साहित कर सकते है। लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक सभी  योग्यताएँ यदि अभी  नहीं भी  है तो उनको पाने की  समय बद्ध योजना, सकारात्मक सोंच वाला रवैया यानी पॉजिटिव एटीटयुड   जिससे आप समस्या के बजाये समाधान का हिस्सा बन सके।

टीम और बाहर के लोगों के साथ प्रभावशाली सम्प्रेषण तथा व्यहार कुशलता, साथ ही कर सकते है और निश्चित ही करेंगे का स्वभाव और अपनी योजना,क्षमता और टीम की क्षमता  पर पूर्ण  विश्वास,ऐसा प्रभावशाली  व्यक्तित्व जिसने अपनी  प्रतिभा का प्रदर्शन कर अपने लिए विशेष स्थान बनाया हो  को आदर्श बनाकर उसके पदचिन्हों पर चलने का निश्चय कुछ  ऐसे आवश्यक गुण है जिनको अपना कर आप अपनी नेतृत्व क्षमता  का लोहा मनवा सकते है और अपने लिए कार्य क्षेत्र  तथा समाज में उच्च  प्रतिष्ठा  निश्चित कर सकते है।

आईये आज यह निश्चित करें की विभिन्न परिस्थितियो के मूक दर्शक बन कर भीड़ का हिस्सा बननें के बजाय अपने अन्दर नेतृत्व के लिए आवश्यक गुणों का विकास कर उन्हें प्रयोग में लायेंगे ताकि  यह जीवन हमारे लिये, परिवार के लिए और समाज के लिये उपयोगी बन सके और हमारे जाने के बाद भी हमारे कामो के निशान आने वाली पीढ़ी को दिखाई भी दे और उन्हें कुछ बेहतर कर गुजरने के लिए प्रेरित करे तभी हम अपने जीवन को सफल बना सकंगे।

अजय सिंह 




Wednesday, March 6, 2013

खुद अपने मालिक यानी उद्यमी बन जीते दुनिया को

यदि धीरू भाई अम्बानी, रतन टाटा या नारायण मूर्ति का नाम आपको  प्रेरित करता है और आप कुछ नया करने की सोचते है , बड़े सपने देखते है  और किसी भी चुनौती को स्वीकार करने का साहस रखते  है ,तो शायद आपका जन्म भी दुनिया में कुछ बड़ा करने के लिए हुआ है और आप भी अपने मालिक स्वयं बन कर रुपया पैसा और नाम कमा सकते है।

स्वयं का  मालिक बनने के लिए आपको एक उद्दयम की स्थापना करनी पड़ेगी, जिसका चुनाव आप अपने व्यवसायिक कौशल, व्यवसाय शुरू करने के लिए उपलब्ध धनराशि और अपनी रूचि के अनुसार कर सकते है।परन्तु सफल उद्यमी बनने के लिए आपके अन्दर कुछ गुणों का होना आवश्यक है।यदि आप मेहनती, ईमानदार, धैर्यवान और  आत्म विश्वास से लबरेज  व्यक्तित्व के मालिक है तो  आपका अपने उद्यमं में सफल होना तय है। आप भी तमाम सफल उद्यमियों की तरह पैसा और ख्याति अर्जित कर नौकरी करने के बजाय लोगो को रोजगार उपलब्ध करा सकते हैं।

उद्यम शुरू करने के लिए इसका चुनाव सावधानी से करे।चुनाव के पूर्व उद्यम  के बारे में पूरी जानकारी पुस्तक ,इन्टरनेट, मित्र और रिश्तेदारों इत्यादि से प्राप्त करे।आप इस काम को क्यों करना चाहते है -इस बारे में अपने को पूरी तरह संतुष्ट करे। यदि सही  काम का चुनाव आपने  कर लिया है और इसको करने के लिए आपमें जूनून है तो काम में सफलता निश्चित है।  उद्यम के चुनाव के बाद इसको करने के लिए योजना लिख कर बनाये और इसका मूल्यांकन करे आवश्यक हो तो इसमें परिवर्तन करे और योजना के कार्यान्यवन हेतु  आवश्यक संसाधन जुटाने का  प्रयास करे।यदि योजना बड़ी है और लगता है की अकेले करने के लिए संसाधन जुटाना मुश्किल है तो अपने साथ ऐसे व्यक्ति को ले जो आपके संसाधनों की कमी को दूर करने में सहायक हो सके। उदाहरण के लिए यदि आपके पास उद्यम शुरू करने के लिए पर्याप्त धनराशी और काम करने के लिए पर्याप्त समय है किन्तु  तकनीकी  कौशल की कमी  है और  आपका साथी यदि तकनीकी कौशल युक्त हो तो ऐसा व्यक्ति साझेदारी के लिए उपयुक्त रहेगा।

समय -समय पर उद्यम में काम आने लायक अपने कौशल को बढ़ाते जाना एक अच्छी कार्यनीत है।उदाहरण  के लिए यदि आपको अभी कंप्यूटर  पर काम करने का पर्याप्त ज्ञान नहीं है तो इसे शीघ्र सीख कर अपने उपयोग में लाने  का कौशल विकसित करे। आपको पता है की आजकल बिना इस ज्ञान के आपको कठिनाई का सामना करना पड़ेगा।इसी तरह यदि आप को विदेशो से या देश में बड़े कारपोरेट के साथ काम करना है को व्याहारिक इंग्लिश भाषा  का ज्ञान जल्दी से जल्दी  करें ताकि आपकी दूसरो  पर निर्भरता न रहे इससे आपका आत्मविश्वास  भी बढेगा और आपको अपने व्यापार के रहस्यों  को दूसरे  लोगो से साझा करने की जरुरत नहीं पड़ेगी। 

आपको अपने उद्यम में लगातार सफलता के लिए अपनी नीतियो में परिवर्तन समय, स्थान और तकनीक के अनुसार करते रहना आवश्यक है। वर्षो तक फोटोग्राफी की दुनिया में एक छत्र राज्य करने वाली कोडक कम्पनी का दिवाला दो साल पहले निकल गया था। कंपनी के अध्यक्ष अंतोनियो एम पेरेज़ ने अपने दस्तावेजो  में कंपनी के दिवालिया होने के जो कारण बताएँ है उनमे सबसे प्रमुख कारण कम्पनी का तकनीकी आधुनिकीकरण न करना था ।कोडक कम्पनी की शुरुवात 1888  में हुई थी और 1976 में इस कम्पनी के पास अमरीकी फोटो फिल्म बाजार का  करीब 90 प्रतिशत और कैमरा बाजार का 85 प्रतिशत हिस्सा था।इसके  बावजूद 35 वर्षो में कंपनी बाजार से बाहर ही नहीं हुई बल्कि दिवालिया तक हो गई। अतः समय के साथ नीतियो में परिवर्तन और नई  चुनौतियो  के लिए तैयारी उद्दयम की सफलता के लिए आवश्यक है।

बस अब देर किस बात की है शुरू कीजिए  सपने देखना और तैयार हो जाइये बड़ी सफलता के साथ व्यवसाय की शुरुवात के लिए।यह केवल आपकी जीविका का ही प्रबंध नहीं  करेगी बल्कि  अनेक लोगो की जीविका की व्यस्था आपके व्यवसाय के माध्यम से करेगी। और  आप नाम कमाने के साथ ही समाज में नेतृत्व  भी दे सकेंगे।समय के साथ आपका नाम भी  सफल उद्दमियो की श्रेणी में शामिल होगा और आपके सपने भी सच 
 होजाएंगे।

अजय सिंह 


Monday, February 18, 2013

स्व- संवाद करे कमाल दिलाये सफलता कराए मालामाल

राघव एक टीम  लीडर की हैसीयत से जिस ग्रुप  के साथ काम कर रहे थे उसमे  दस लोग  थे, उनसे  जब यह पूछा गया की आप के साथ कितने हाथ काम कर रहे है तो उन्होंने तपाक से जवाब दिया  बीस। कैसे? दस लोग हों  तो उनके बीस हाथ  हमारे साथ काम कर रहे है।सभी ने कहा। बीस क्यों बाईस क्यों नहीं? उन सबके दो-दो हाथ मिलकर बीस हुए पर आपके दो हाथ कहाँ गए जो आपके साथ काम कर रहे है । बस इसी तरह हम लोग दूसरो  के साथ हुए संवाद सुनते  देखते और उसे अपनी गड़ना में रखते है  और उस पर प्रतिक्रिया करते है। परन्तु अपने साथ होने वाले  सम्वाद अर्थात स्व संवाद कैसा हो रहा है इसपर ध्यान देना आवश्यक नहीं समझते है। वास्तव में  हम दूसरे लोगो के साथ कभी भी एक तिहाई समय से ज्यादा संवाद नहीं करते और  हमारा दो तिहाई से ज्यादा  संवाद अपने साथ ही होता है।


आप अपनी डायरी में वे सारे  स्व - संवाद लिख ले जिससे आप के विचारो को दिशा  मिले, जिससे आप के जीवन में समय, प्रेम, सेहत और संतुष्टि बढे।इन स्व-संवादो को समय मिलने पर पढ़े और दोहराए।यह आपके  उत्तम जीवन की शुरुवात है।

इन्सान को चाहिए की वह सदा सहज बुद्धि  का इस्तेमाल करे। परिणाम न मिलने पर अपने साथ स्व- संवाद करे  "इस काम का परिणाम न मिलने के तीन  मुख्य कारण  क्या है ?उनको अपनी कापी में लिख लें।फिर इस पर विचार करे की  अगली बार मुझे अलग  क्या करना है,जिससे अच्छा परिणाम आये? इस बार कि  गलतियों से मैंने क्या सीखा है?"  इसे भी  लिख लेना चाहिए। इस तरह स्व-संवाद को लिख लेने से काम में सुधार की सम्भावना बढ़ेगी  और किये हुए कर्म का उचित फल मिलेगा।

स्व-संवाद के  द्वारा बार-बार आप अपने लक्ष्य को दोहराये और  महसूस करे कि वह आप को प्राप्त हो रहा है।आप अपनी क्षमताओं के कारण अपने  लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे ऐसा अपने को विश्वास दिलायें तो अवचेतन  मन आपकी सुप्त क्षमताओं को दृढ़ कर के लक्ष्य प्राप्ति में सहायता करेगा।
 

प्रसिद्ध लेखक नेपोलियन हिल  अपनी पुस्तक "थिंक एंड ग्रो रिच" में  अवचेतन मन के बारे में कहते है कि इसकी क्षमताएँ उतनी ही होती है जितनी आप मान लेते है और अवचेतन मन में किसी विचार को डालने के लिये स्वसंवाद के अतिरिक्त कोई दूसरा प्रभावी साधन नहीं है। आप अपनी पांचो ज्ञान्नेद्रियो के द्वारा जो कुछ भी महसूस करते है उसे केवल चेतन मन तक पहुँचाया जा सकता है वहाँ से अवचेतन मन की स्वीकृत मिलने पर ही यह अवचेतन मन तक पहुँच सकता है।वास्तव में चेतन मन अवचेतन मन के लिए बाह्य निष्पादक का काम करता है। अवचेतन मन एक ऐसे उपजाऊ  बगीचे की तरह है जहाँ तरह तरह की पौध उगती रहती है यदि वहाँ सावधानी पूर्वक मनचाही पौध अर्थात सु-विचार न  लगाये जाये तो अनुपयोगी विचार वहां पर आ जायेंगे और आपको प्रेरित करेंगे। अतः  अवचेतन मन को स्व-संवाद के द्वारा आपको जो विचार चाहिए भेजने पड़ेंगे।

अमीर  बनने के लिए भी कम से कम दिन में दो बार आपको अपनी   इच्छा को लिख कर जोर-जोर से अकेले में पढना है फिर इस कल्पना के साथ धन आपको  प्राप्त हो रहा है ऐसा  महसूस करना है। इस तरह जब  आप अपनी  इच्छा को अपने अवचेतन मन को  विश्वास  के साथ बताते है तो  आपकी आदते वैसी ही बनती जाती है जैसी आपको निर्धारित  लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बनाने की जरुरत है।

स्व-संवाद का पूरा लाभ उठाने के लिए कुछ सावधानियाँ  आवश्यक है।प्रथम हमारा मन नकारात्मक शब्दों को पंजीकृत नहीं करता अतः इनका प्रयोग ना करे उदहारण के लिए "मुझे हाथी पसंद नहीं है" जब आप इस लाइन को बार बार दोहराते है तो आप के मन के भाव हाथी का चित्रण करते है इसलिये  आप पसंद न होने के बावजूद हाथी को भूल नहीं सकेंगे और अवचेतन मन में उसकी उपस्थिति दर्ज रहेगी। दूसरा सारे स्व-संवाद वर्तमान काल के होने चाहिए। जैसे मैं अमीर बनना चाहता हूँ या मैं भविष्य  मैं अमीर बनूँगा से "मै अमीर हूँ" या  "मैं दिनों दिन अमीर बनता जा रहा हूँ" बेहतर स्व-संवाद है।इस तरह के संवाद  को प्रभावी बनाने के लिए  स्व-संवाद के साथ आपकी भावनाओं का जुड़ना आवश्यक है।स्व-संवाद आपकी योग्यताओं के अनुसार वास्तविक होने चाहिये। तीसरी ध्यान रखने वाली बात यह है की इसे बार-बार मन मे या जोर -जोर से दोहराना आवश्यक है। साथ ही जो बात आप दोहरा रहे है उसका विश्लेषण करके उस विचार को खंडित करने वाले विचारों को मन मैं जगह न दे। यदि सावधानियो के साथ आप इसका नियमित अभ्यास करें तो सफलता निश्चित ही आपको मिलने वाली  है।

अजय सिंह "एकल"



Friday, January 25, 2013

लक्ष्य निर्धारण करे, सफलता की सीढ़ी चढ़े


गुरु द्रोणाचार्य ने अपने प्रिय धनुर्धर  शिष्य  को पेड़ पर बैठी हुई चिड़िया पर निशाना लगाते  हुए पूछा तुम्हे क्या-क्या दिखायी दे रहा है अर्जुन ?पेड़,पेड़ की टहनिया,पत्ते और क्या? अर्जुन ने बिना किसी दुविधा में पड़े जवाब दिया की मुझे केवल और केवल चिड़िया की आखँ अर्थात जिस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मैं यहाँ खड़ा हुआ हूँ  वही दिख रहा है इसके  अलावा  मुझे कुछ भी नहीं दिख रहा है।

यदि आप भी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इतने  समर्पित है तो जीवन के हर कदम पर सफलता आपका स्वागत करेगी, नहीं तो कभी ख़ुशी कभी गम की तरह सफलता और असफलता के साथ समझौता करते हुए आपको जीना  पड़ेगा। आपको अपने जीवन में  क्या चाहिए यह आपको तय करना है। इसकी प्राप्ति में यदि आप सफलता चाहते है तो लक्ष्य निर्धारित  करना,  और उसे प्राप्त करने के लिए लगातार प्रयत्न करना ही एक मात्र उपाय  है। बिना लक्ष्य निर्धारण के  ध्यान भटकने की सम्भावना रहती  है। जबकि लक्ष्य प्राप्ति के लिए इस पर लगातार निगाह रखना , अपनी स्थिति का लगातार आंकलन करते हुए आगे बढना  और आवश्यकतानुसार इसमें परिवर्तन भी करते रहना आवश्यक है।

छोटी और बड़ी अवधि में प्राप्त करने के लिए हमारा  लक्ष्य क्या हो? इसका  निर्धारण कैसे करे? इसको प्राप्त करने के लिए तैयारी कैसे की जाय और सबसे महत्वपूर्ण यह की लक्ष्य प्राप्त करने के बाद क्या? आइये ऐसे ही कुछ प्रश्नों पर विचार करे।

मनुष्य जीवन अन्य प्राणियों के जीवन से कई तरह भिन्न है। इसमें एक है, अन्य प्राणियो को  जहाँ जीवन जीने के लिए केवल खाने का प्रबंध करने की बाध्यता है, मनुष्य को  खाने का प्रबन्ध  अर्थात जीविका की व्यवस्था  करने के अलावा दूसरी बाध्यता है जीवन को सवांरने  की। अर्थात  जीवन इस तरह जिया जाये कि   सम्बन्धो में सन्तुलन एवम  मधुरता, प्रकृति से सामन्जस्य  और जीवन के बाद भी पहचान बनी रहे तो इस   स्थिति  को आदर्श  मानना  चाहिये।

अपने लक्ष्य के लिए केवल यह कह देना की  "मै चाहता हूँ" काफी नहीं है। लक्ष्य निर्धारण करना एक सतत  प्रक्रिया है, जो आप क्या प्राप्त करना चाहते है से शुरू होती है और बुद्धिमानी पूर्वक लगातार प्रयत्न करने से ही आपको प्राप्त हो सकती  है। इस बीच   बहुत सारे  काम योजनाबद्ध तरीके से  अपनी मंजिल तक पहुचने के लिए आपको करने  होते  है  और यह प्रक्रिया ही आपको लक्ष्य प्राप्त करने में सहायता करती है।

आप जो लक्ष्य निर्धारित  कर रहे है यदि  वह  आपको प्रेरित करने वाला है, उत्साहित करने वाला है अर्थात आप जीवन में जो प्राप्त करना चाहते है उसमे सहायक है तो आप को उसे प्राप्त करने के लिए प्रयास करना अच्छा लगेगा और आप उसे  आसानी से प्राप्त भी कर सकेंगे। लक्ष्य प्राप्ति के प्रति आपका उत्साह और प्रतिबद्धता इसको पाने में सबसे बड़ा सहायक है। अपने से सवाल पूछे की आपके द्वारा निर्धारित लक्ष्य आपके लिए महत्व पूर्ण क्यों है और जवाब से  संतुष्ट हो जाने पर इसे अपना मार्गदर्शक सिद्धान्त  माने।

लक्ष्य S.M.A.R.T. अर्थात Specific, Measurable, Attainable,Relevant,Time bound  होना चाहिए। इसे ऐसे समझे, यदि आप अगले तीन महीने में पाँच किलो वजन कम करने का लक्ष्य निर्धारित कर रहे है तो यह एक S.M.A.R.T. गोल है। ऐसे लक्ष्य को  प्राप्त करना और फिर यह मापना की सबकुछ वैसा ही है जैसा आपने तय किया था सहज है।

लक्ष्य को लिख कर निर्धारित  करे।लिखने से एक तो भूलने का डर नहीं रहेगा दूसरे यह उसे स्वाभाविक और  यथार्थ के पास लाने  में सहायक होगा। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिये योजना भी लिखे और  फिर उसमे फेर बदल कर उसे अपनी क्षमताओ  के अनुरूप  बनाये ताकि उसे प्राप्त कर सके।

एक बार लक्ष्य तय करने के बाद उसे प्राप्त करने के लिए अपने पूरे  सामर्थ्य के साथ  जुट जाये।लक्ष्य प्राप्त करने लिए जो संसाधन आपके पास है उसका समुचित आकलन करे ताकि इसका आवश्यकतानुसार उपयोग किया जा सके। अपने को बार -बार लक्ष्य की याद दिलाये और कोशिश करे की लक्ष्य प्राप्ति  के लिए किये जाने वाले काम निर्धारित समय सीमा में निष्पादित हो। ताकि अंतिम लक्ष्य तय समय में पूरा  हो सके। आवश्यक हो तो  अंतिम लक्ष्य में परिवर्तन  किये बिना लक्ष्य प्राप्त करने में सहायक योजनाओ   का  समय -समय पर  मूल्यांकन  करते रहे  ताकि आप वह प्राप्त कर सके जिसकी आपने कल्पना की है।

याद रखे यह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।जीवन जैसे -जैसे आगे बढेगा दीर्घ कालीन और अल्प कालीन  लक्ष्य  में परिवर्तन स्वाभाविक है लेकिन लक्ष्य आदर्श जीवन की प्राप्ति के लिए हो और मनुष्य जीवन को धन्य करे तो ही सारा प्रयास सार्थक होगा।

अजय सिंह 





Tuesday, January 8, 2013

दोस्त बनाये सफलता पायें

क्या आपको याद है सुदामा और कृष्ण  की दोस्ती, हनुमान और विभीषण की दोस्ती नहीं तो शोले के जय और वीरू की दोस्ती तो आप को निश्चित याद होगी जिन्होंने मिल कर अपने समय के सबसे खूंखार डाकू  गब्बर सिंह को मार गिराने में ठाकुर की मदद की थी। यानि  अलग अलग प्रतिभा वाले दो लोग जब  दोस्त बनकर  आपस में हाथ मिला लेते है तो  संयुक्त  रूप से एक नयी प्रतिभा  विकसित हो जाती है जो दोनों के लिए सफलता का मार्ग निश्चित करती है।

यह बात बहुत पुरानी नही है।दो दोस्त  लेरी पेज और सार्ज बिन जो अमरीका के  स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में सहपाठी थे, ने 1996 में एक कंपनी शुरू की। इस कम्पनी  ने  दुनिया में इंटरनेट का पूरा बिजनेस मॉडल बदल दिया और दस तेजी से बढती हुई कंपनी का दर्जा प्राप्त कर लिया वह कंपनी कोई और नहीं आपकी सुपरचित कम्पनी  गूगल इंक  है। यानि एक और एक मिलकर गणित में बेशक दो हो लेकिन भौतिक जगत में  दो  और दो  मिलकर ग्यारह या फिर इससे भी ज्यादा हो सकते है।

अब सवाल ये है की दोस्त कैसे और  किसे बनाये और इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है की दोस्त  बनाये कैसे रखे ? डेल कार्नेगी नाम के एक सुप्रसिद्ध अमरीकी लेखक ने अपनी प्रसिद्ध किताब "हाउ टू  विन  फ्रेंड्स एंड इन्फ्लुएंस पीपुल" में कुछ बेहतरीन और अजमाए हुए नुस्खे  सुझाये है।आलोचना करना,दोष लगाना और बात बात में  शिकायत करना दोस्ती में बाधक है इसके विपरीत दूसरो की  मदद करना,लोगो द्वारा किये छोटे -छोटे काम के लिए धन्यवाद का भाव, और प्रशंसा  करना दोस्ती में  सहायक होते है।यदि आप लोगो में रूचि ले,उन्हें अपने बारे में बताने का मौका देकर उन्हें महत्व दे तो लोग आपसे मिलना और दोस्ती करना पसंद करेंगे। लेकिन यदि आप  दोस्तों का चुनाव सावधानी  पूर्वक नहीं करते है तो सम्भव की दोस्ती सफलता की सीढ़ी बनने के बजाय साँप बनजाये और आपकी प्रतिभा और प्रतिष्ठा दोनों को नुकसान पहुंचा दे ।याद रखिये सम्बन्धो में संतुलन और सावधानी सफलता के लिए अति  आवश्यक  है।

व्यासायिक सफलता के लिए उन लोगो से दोस्ती करे  जिन्हें आप अपने क्षेत्र में सफल मानते है या अनुकर्णीय व्यक्ति समझते है। ऐसे  लोगो के   बारे में जानकारी इकठ्ठा करे उन की रुचिओं और  अभिलाषाओ को समझे इसमें कैसे सहयोग दे सकते है इसकी योजना बनाये। सोशल नेट वर्किंग वेब साईट जैसे फेसबुक और लिंक डीन   इत्यादी पर यह जानकारियाँ   आजकल आसानी से उपलब्ध हो जाती है। ऐसे लोगो द्वारा  लिखे हुए लेख और पुस्तको के बारे में अपनी प्रतिक्रिया ईमानदारी से दे। और जब वह व्यक्ति आपको पहचानना शुरू कर दे तो उससे उसकी रूचि के विषय  और विशेषज्ञता के प्रश्न पूछे और उस पर चर्चा करे। यदि आर्थिक स्थित अनुमति दे तो कुछ अवसरों जैसे जन्म दिन और शादी की वर्षगांठ इत्यादि पर कोई आकर्षक उपहार इत्यादि देने से भी संबंधो में पहचान और गर्माहट बनी रहती है। याद रखिये यदि किसी प्रकार की अपेक्षा किये बिना आप दोस्ती का हाथ बढ़ा  रहे है तो यह लम्बे समय तक टिकेगी।काम के लिए सम्बन्ध न बनाये सम्बन्ध हो तो काम अपने आप होते है।

वास्तव में मनुष्य जीवन में दोस्ती का सम्बन्ध एक वरदान है,और पारिवारिक  संबंधो की तरह इसं सम्बन्ध  को बनाने की और बनाये रखने की  बाध्यता नहीं है।आप  किससे दोस्ती करे और कब तक करे सब कुछ आपकी रूचि और इच्छा पर निर्भर है। जीवन के हर मुकाम पर जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते है नए -नए  दोस्त बनते है और पुराने  बने हुए  छूटते भी जाते है।नये दोस्तों से दोस्ती करना अच्छा है लेकिन बचपन में बने पुराने दोस्त ज्यादा सच्चे और वफादार होते है इसलिए नए की चाहत में पुराने को महत्व न देने की गलती न करे। याद रखिये  सच्चा  दोस्त वही है जो  जरुरत पर काम  आये और  एक दूसरे की उन्नति की सीढ़ी  बन जाये। अत: जब कभी अवसर आये तो  अपनी दोस्ती का फ़र्ज़ निभाना न भूले।

अजय सिंह "एकल"

कैरिअर सम्बन्धी  प्रश्नों के लिए आप लेखक से  ईमेल: as@successmantra.net  पर संपर्क कर सकते है।
लेखक द्वारा लिखे अन्य लेखो को  आप  http://ajayekal.blogspot.in/ ब्लॉग पर पढ़ सकते है।




Tuesday, January 1, 2013

मन के हारे हार है मन के जीते जीत



सिकन्दर महान  विश्व जीतने के अभियान में बेबिलोनिया से अफगानिस्तान होता हुआ पंजाब पहुंचा तो उसकी सेनाओं ने वहाँ के राजा पुरू को युद्ध में हरा कर बंदी बना लिया और उसको सिकंदर के सामने पेश किया गया। सिकन्दर ने राजा पुरु से कहा कि तुम्हारी सेना  युद्ध में हार गयी है और तुम अब युद्ध बंदी हो तुम्हारे साथ कैसा व्यहार किया जाये। राजा पुरु का उत्तर था जैसा एक राजा दूसरे  राजा के साथ करता है।यानी युद्ध में हारने के बावजूद राजा पुरु के मन ने हार को अस्वीकार किया तो सिकन्दर ने भी प्रसन्न होकर राजा पुरु को न केवल उसका साम्राज्य वापस कर उसको पुन:राजा बनाया बल्कि अपने वफादार सेनापती   सेलुकुस निक्टर को अपनी मित्रता का तोहफा देकर वापस अपने देश चला गया। ऐसा चमत्कारी है मन का प्रभाव।

आमतौर पर  लोग अपनी आधी  लड़ाई बिना लड़े  ही  सिर्फ इसलिये हार जाते  है क्योंकि वह परिस्थितयों से घबरा कर हार को स्वीकार कर लेते है। इतिहास  ऐसे अनगिनत उदहारणो से भरा पड़ा है जहाँ अत्यन्त कठिन और विपरीत परिस्थितियों के होते हुए लोगों ने परिस्थितियों से मुकाबला कर विजय श्री को प्राप्त किया है।मौर्य वंश के संस्थापक के नाते आज आचार्य चाणक्य की जो ख्यति है वह उनकी विपरीत परिस्थितियो में अपनी कुशल नीतियों  द्वारा  20 साल से राज्य कर रहे नन्द वंश की समाप्ति और  अनेक छोटे राज्यों को जीत कर चन्द्रगुप्त को राजा बनाने के कारण ही है।

मन को जीत का विश्वास दिला पाने  के कारण ही श्री हनुमान साधारण वानर होते हुये भी  दुर्गम एवं असंभव दिखने वाले कार्यो को कुशलता पूर्वक सम्पन्न कर भगवान श्री राम की सेना को विजय दिला  कर लक्ष्य को प्राप्त किया और  अपनी ऐसी प्रतिष्ठा स्थापित कर पाये जो उनसे ज्यादा योग्य लोगोँ को नहीं मिल पायी। क्या आपको याद है उस चीटी की कहानी जिसमे वह दीवार पर बार -बार चढ़ने की कोशिश करती है और अनेक बार गिरने के बावजूद अपनी हार मान कर लक्ष्य प्राप्ति का प्रयास नहीं छोड़ती है और अन्तत: उस मन्जिल  को प्राप्त करती है जिसकी उसको तलाश थी।

" हारिये न हिम्मत बिसारिये न राम" के मूल मंत्र में जीवन की सफलता का रहस्य छुपा हुआ है।कठिन से कठिन परिस्थितियो में भी हिम्मत न हारने वाला मनुष्य जीवन में ऊंचाई को प्राप्त कर ही लेता  है।परमेश्वर ने जितनी सम्भावनाये आगे बढ़ने की मनुष्य मात्र को दे रखी है शायद किसी और जीव  को नहीं।परन्तु आज का मानव कही न कही अपनी वरिष्ठता विशिष्टता एवं क्षमता को पहचानने में नाकाम दिखता दिख रहा है।आत्मविकास की बात तो करना दूर की बात है,थोड़ी बहुत बाधाओ  से ही मनुष्य घबड़ाने लगता है .वह अपने अन्दर छिपी शक्ति को पहचान नहीं पा पाता है संघर्ष करने से घबड़ाता है परन्तु यह समझना आवश्यक  है की जब हिम्मत साथ होगी,तभी परिणाम की सिध्धि होगी।

आपको शायद   पता हो  कि   मनुष्य के भाग्य को अच्छा बनाने में मन का कितना योगदान है? वास्तव में मन में आने वाले विचार ही आपके शब्द ,फिर शब्द ही  क्रिया बनते है।नियमित की जाने वाली क्रियाएँ  आदत बन जाती है और आपकी आदते आपका चरित्र निर्माण करती है। और अंतमे आपका चरित्र ही आपका  भाग्य बन जाता है। जब आप नकारात्मक सोंच के कारण अपनी क्षमताओ को कम करके आंकते है तो आप अपने व्यक्तित्व में वैसी ही योग्यताए विकसित करते हैं और उसी तरह की सोंच के लोगों से घिर जातें है। अत: अपने दोस्तों का चुनाव सावधानी से करे तथा  ऐसी आदतें  बनाये जिससे आपके व्यक्तित्व निर्माण हो और जो  लक्ष्य प्राप्ति में सहायक हों। मन ऐसा  जो  निर्मल एवं  आज्ञाकारी हो और विपरीत परिस्थितयो में भी विजय प्राप्त करने का विश्वास  करे तो आपकी जीत सुनिश्चित है।


अजय सिंह