Friday, January 25, 2013

लक्ष्य निर्धारण करे, सफलता की सीढ़ी चढ़े


गुरु द्रोणाचार्य ने अपने प्रिय धनुर्धर  शिष्य  को पेड़ पर बैठी हुई चिड़िया पर निशाना लगाते  हुए पूछा तुम्हे क्या-क्या दिखायी दे रहा है अर्जुन ?पेड़,पेड़ की टहनिया,पत्ते और क्या? अर्जुन ने बिना किसी दुविधा में पड़े जवाब दिया की मुझे केवल और केवल चिड़िया की आखँ अर्थात जिस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मैं यहाँ खड़ा हुआ हूँ  वही दिख रहा है इसके  अलावा  मुझे कुछ भी नहीं दिख रहा है।

यदि आप भी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इतने  समर्पित है तो जीवन के हर कदम पर सफलता आपका स्वागत करेगी, नहीं तो कभी ख़ुशी कभी गम की तरह सफलता और असफलता के साथ समझौता करते हुए आपको जीना  पड़ेगा। आपको अपने जीवन में  क्या चाहिए यह आपको तय करना है। इसकी प्राप्ति में यदि आप सफलता चाहते है तो लक्ष्य निर्धारित  करना,  और उसे प्राप्त करने के लिए लगातार प्रयत्न करना ही एक मात्र उपाय  है। बिना लक्ष्य निर्धारण के  ध्यान भटकने की सम्भावना रहती  है। जबकि लक्ष्य प्राप्ति के लिए इस पर लगातार निगाह रखना , अपनी स्थिति का लगातार आंकलन करते हुए आगे बढना  और आवश्यकतानुसार इसमें परिवर्तन भी करते रहना आवश्यक है।

छोटी और बड़ी अवधि में प्राप्त करने के लिए हमारा  लक्ष्य क्या हो? इसका  निर्धारण कैसे करे? इसको प्राप्त करने के लिए तैयारी कैसे की जाय और सबसे महत्वपूर्ण यह की लक्ष्य प्राप्त करने के बाद क्या? आइये ऐसे ही कुछ प्रश्नों पर विचार करे।

मनुष्य जीवन अन्य प्राणियों के जीवन से कई तरह भिन्न है। इसमें एक है, अन्य प्राणियो को  जहाँ जीवन जीने के लिए केवल खाने का प्रबंध करने की बाध्यता है, मनुष्य को  खाने का प्रबन्ध  अर्थात जीविका की व्यवस्था  करने के अलावा दूसरी बाध्यता है जीवन को सवांरने  की। अर्थात  जीवन इस तरह जिया जाये कि   सम्बन्धो में सन्तुलन एवम  मधुरता, प्रकृति से सामन्जस्य  और जीवन के बाद भी पहचान बनी रहे तो इस   स्थिति  को आदर्श  मानना  चाहिये।

अपने लक्ष्य के लिए केवल यह कह देना की  "मै चाहता हूँ" काफी नहीं है। लक्ष्य निर्धारण करना एक सतत  प्रक्रिया है, जो आप क्या प्राप्त करना चाहते है से शुरू होती है और बुद्धिमानी पूर्वक लगातार प्रयत्न करने से ही आपको प्राप्त हो सकती  है। इस बीच   बहुत सारे  काम योजनाबद्ध तरीके से  अपनी मंजिल तक पहुचने के लिए आपको करने  होते  है  और यह प्रक्रिया ही आपको लक्ष्य प्राप्त करने में सहायता करती है।

आप जो लक्ष्य निर्धारित  कर रहे है यदि  वह  आपको प्रेरित करने वाला है, उत्साहित करने वाला है अर्थात आप जीवन में जो प्राप्त करना चाहते है उसमे सहायक है तो आप को उसे प्राप्त करने के लिए प्रयास करना अच्छा लगेगा और आप उसे  आसानी से प्राप्त भी कर सकेंगे। लक्ष्य प्राप्ति के प्रति आपका उत्साह और प्रतिबद्धता इसको पाने में सबसे बड़ा सहायक है। अपने से सवाल पूछे की आपके द्वारा निर्धारित लक्ष्य आपके लिए महत्व पूर्ण क्यों है और जवाब से  संतुष्ट हो जाने पर इसे अपना मार्गदर्शक सिद्धान्त  माने।

लक्ष्य S.M.A.R.T. अर्थात Specific, Measurable, Attainable,Relevant,Time bound  होना चाहिए। इसे ऐसे समझे, यदि आप अगले तीन महीने में पाँच किलो वजन कम करने का लक्ष्य निर्धारित कर रहे है तो यह एक S.M.A.R.T. गोल है। ऐसे लक्ष्य को  प्राप्त करना और फिर यह मापना की सबकुछ वैसा ही है जैसा आपने तय किया था सहज है।

लक्ष्य को लिख कर निर्धारित  करे।लिखने से एक तो भूलने का डर नहीं रहेगा दूसरे यह उसे स्वाभाविक और  यथार्थ के पास लाने  में सहायक होगा। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिये योजना भी लिखे और  फिर उसमे फेर बदल कर उसे अपनी क्षमताओ  के अनुरूप  बनाये ताकि उसे प्राप्त कर सके।

एक बार लक्ष्य तय करने के बाद उसे प्राप्त करने के लिए अपने पूरे  सामर्थ्य के साथ  जुट जाये।लक्ष्य प्राप्त करने लिए जो संसाधन आपके पास है उसका समुचित आकलन करे ताकि इसका आवश्यकतानुसार उपयोग किया जा सके। अपने को बार -बार लक्ष्य की याद दिलाये और कोशिश करे की लक्ष्य प्राप्ति  के लिए किये जाने वाले काम निर्धारित समय सीमा में निष्पादित हो। ताकि अंतिम लक्ष्य तय समय में पूरा  हो सके। आवश्यक हो तो  अंतिम लक्ष्य में परिवर्तन  किये बिना लक्ष्य प्राप्त करने में सहायक योजनाओ   का  समय -समय पर  मूल्यांकन  करते रहे  ताकि आप वह प्राप्त कर सके जिसकी आपने कल्पना की है।

याद रखे यह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।जीवन जैसे -जैसे आगे बढेगा दीर्घ कालीन और अल्प कालीन  लक्ष्य  में परिवर्तन स्वाभाविक है लेकिन लक्ष्य आदर्श जीवन की प्राप्ति के लिए हो और मनुष्य जीवन को धन्य करे तो ही सारा प्रयास सार्थक होगा।

अजय सिंह 





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