Saturday, June 7, 2014

आपन तेज सँभारो आपै

दोस्तों 
"आपन  तेज सँभारो आपै" यह केवल श्री हनुमान चालीसा में लिखी हुई एक चौपाई ही नहीं है बल्कि मनुष्य के  मन की असीम  क्षमताओं का गोस्वामी तुलसी दास द्वारा पूर्वांकलन है.यह बात न केवल श्री हनुमान जी के लिए अपितु उन सभी लोगो के लिये सत्य है जिन्हे अपनी क्षमता का भरोसा है और उससे भी ज्यादा जरुरी बात यह की उनका लक्ष्य पूर्ति का उद्देश्य अपने लाभ तक सीमित  है अथवा उसका लाभ  समाज के बड़े तबके के पास पहुचने वाला है.

एक उदहारण के साथ इस बात को समझना आसान होगा। हाल ही में सम्पन्न हुये जनरल इलेक्सन में श्री नरेन्द्र मोदी को जिस तरह का जन समर्थन प्राप्त हुआ है वह कई प्रबंधन विद्यार्थिओं के लिए शोध का विषय  है. अपनी अपनी समझ और अनुभवों के आधार पर लोग इसके अलग अलग कारण बताते है किसी के लिए मोदी के भाषण का प्रभावी होना तो किसी के लिए मोदी का संगठन में निपुण होना उनके एक छोटे से व्यसाय से
शुरू कर देश के सबसे बड़े पद तक पहुचने का कारण  है. किन्तु मुझे उनकी अद्दुतीय   सफलता में उपरोक्त कारणों के अतरिक्त एक कारण नजर आता है वह है अपने लक्ष्य के लिये समर्पित जीवन,और लक्ष्य भी कैसा जो व्यक्तिगत लाभों से दूर  पूरी तरह देश हित और  जन हित को समर्पित हो तब मिलता है प्रकृति का समर्थन और तब होता  है चमत्कार और "आपन  तेज सम्भारो आपै " की स्थिती बनती है. इसके साथ ही एक और महत्व की बात यह की महान लक्ष्य की प्राप्ति का श्रेय अपनी टीम और पूर्वजो को और एक लक्ष्य प्राप्ति होते ही नये उच्च लक्ष्य का निर्धारण और योजना  पूर्वक उसे  प्राप्त करने के लिए चरे वेति चरे वेति का मन्त्र।
अजय सिंह

Wednesday, May 14, 2014

ग्रेस या ग्रेविटेशन


 दोस्तों,
जिसने जन्म लिया है उसे एक दिन मरना है. यही प्रकृति की व्यवस्था है,किन्तु कुछ के जाने के बाद बचती है राख और कुछ के जाने के बाद बचते है आँसू  आखिर  क्या फर्क है दोनों के जीवन जीने  में ? लोग सोच सकते है की कोई आदमी भाग्यशाली है  शायद इसलिए इसके ऊपर ईश्वर की कृपा हो रही है परन्तु सत्य यह है की आपको कृपा और दुःख दोनों ही कमाने पड़ते है अर्थात जो आपको मिल रहा है वह आपके कामो का ही फल है
जैसे मशीन में अच्छे कलपुर्जो के बावजूद बिना लुब्रिकेशन के मशीन का चलना संभव नहीं है इसी तरह तेज दिमाग और स्वस्थ शरीर बिना कृपा के ज्यादा कुछ प्राप्त नहीं कर सकता है. अब प्रश्न यह है की कृपा आखिर है क्या तो इसे मोटे रूप में ऊर्जा की तरह ही समझना ठीक रहेगा जैसे हवा या सूर्य की रौशनी अपना काम करती है उसी तरह कृपा भी अपना काम कर रही है. जैसे ग्रेवटी लगातार निचे खिचती है उसी तरह ग्रेस ऊपर की ओर उठाने  में लगी हुई ऊर्जा है.
ग्रेवटी आपको आपकी सीमाओं में बाँधती है ग्रह नछत्र ,आपके परिवार वाले और दूसरे लोग,शरीर, आपका मन इत्यादि आपकी सीमाये तय करते है लेकिन कृपा अको इन बंधनो से बाहर निकलती हैं यदि आप भौतिक सीमाओं से परे सोंच पा रहे है तो आपको  कृपा  प्राप्त हैं. जब आप अपने जीवन में कुछ ऐसा घटित होते हुये देखते है जिसकी अपने कल्पना भी नहीं की थी उस छड़ आप कुछ देर के लिए कृपा के साथ होते है और उसे महसूस भी करते है. दुनिया की सारी प्रार्थना और आसन क्रिया इत्यादि आपको भौतिक चीजो से दूर ले जाने के लिए  और कृपा के पास आने के लिए ही है   को चुनौती देना 

Sunday, February 23, 2014

वर्त मान ही सत्य है


आगे भी जाने तू, पीछे भी जाने तू
जो भी है, बस यही एक पल है

अन्जाने सायों का राहों में डेरा है
गुरु की  बाँहों ने  हम सबको घेरा है
ये पल उजाला है बाक़ी अंधेरा है          
ये पल गँवाना ये पल ही तेरा है
खोजी  सोच ले यही वक़्त है कर ले पूरी आरज़ू
आगे भी ...



सरश्री के श्रवणों से जिंदगी संवारी है
मनन और ध्यान से मोक्ष की तैयारी  है
इस पल के होने से दुनिया हमारी है
ये पल जो देखो तो सदियों पे वारि है
जीनेवाले सोच ले यही वक़्त है 
 कर ले पूरी आरज़ू
आगे भी ...




इस पल के साए में अपना ठिकाना है
इस पल की आगे की हर शय फ़साना है
कल किसने देखा है कल किसने जाना है              
हमको गुरु ज्ञान ने येही बताया है 
खोजी  सोच ले यही वक़्त है 
कर ले पूरी आरज़ू
आगे भी ...


Wednesday, February 19, 2014

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.         
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है.
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
 चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है.
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती






  डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
     जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है.      
       मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में  
          बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में                
                          मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती                              कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती              









असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो.
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष  का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम                        
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती
 कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.


                                                                               

बनना है महान तो करे अपना सम्मान

प्रिय दोस्तों,
क्या आपने अपने आस पास ऐसे  लोगो को देखा  है जो हमेशा कभी अपने को कभी तक़दीर  को या फिर परिस्थितिओं को दोष देते रहते है ? कहीं आप भी तो उन लोगो के जैसे तो नहीं है? यदि हाँ तो सावधान हो जाइये क्योकिं आप अपनी ताकत का बहुत बड़ा भाग असम्भव को सम्भव  बनाने में खर्च कर रहे है। दरअसल आप बाहरी परिस्थितिओं को एक सीमा से ज्यादा कंट्रोल नहीं कर सकते है,इसलिए आपको अपनी आन्तरिक परिस्थितिओं को बनाने वाले मन पर काम करना पड़ेगा। और इसके लिए विशेष प्रशिक्षण और अभ्यास की जरुरत पड़ेगी। प्रशिक्षण आसान है लेकिन बिना निरंतर अभ्यास के प्रशिक्षण प्रभावी नहीं होता इसलिए अपेक्षित परिणाम पाने के लिए आपको अपने आप से वचनबद्ध करना आवश्यक है।

आइए जरा यह समझने की कोशिश करे की जब हम अन्दर से परेशान होते है तो हमें ज्यादातर चीजे ख़राब क्यों लगने लगती है और क्यों खुश  होने पर वही चीजे अच्छी लगती है।असल में आपके चारो तरफ वही सबकुछ होता है जो आपके अन्दर चल रहा होता है। इसलिए बाहर की परिस्थितियो को ठीक करने के लिये हमें अपने ऊपर ही काम करना है।दरअसल आपके चारो तरफ की दुनिया आपके अन्दर जो कुछ चार रहा है उसका एक प्रतिबिम्ब मात्र है।

जिस  समय आप अस्तव्यस्त और अव्यवस्थित होते है तो आपके बाहर की दुनिया में लोग तनाव पूर्ण और
गुस्से में करते हुए मिलेंगे। जाहिर है की ऐसा कोई जान बूझ कर नहीं कर रहा है लेकिन यदि आप कुछ पुरानी  घटनाओ का विश्लेषण करेंगे तो आप को इनमे आपस का सम्बन्ध स्पष्ट हो जायेगा।

अब अपने अन्दर क्या परिवर्तन लाना है ताकि स्थितियो में सुधार हो  और इसको कैसे लायेंगे पर जरा विचार कर ले।यह परिवर्तन लाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण और पहल कदम है अपने लिए समय निकालना। आमतौर पर हम दिनभर नित्य के कामो में इतना व्यस्त रहते है की अपने लिए समय ही नहीं बचता। इसका सबसे अच्छा और उचित उपाए यह है की आप जितने बजे भी सो कर उठते है उसमे आधा घंटे का समय कम करे और इस समय का उपयोग दस मिनट मौन में बैठ कर ईश्वर  से  दिन के शुभ और  दिनभर किये जाने वाले प्रयासों को सार्थक बनाने की प्रार्थना करे। अपनी दिनचर्या में प्रातः दस -पंद्रह मिनट का समय अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्यायाम करके शुरू करे. प्रार्थना और व्यायाम से शुरू किया जाने वाला दिन आपके लिये अति शुभ परिणाम लायेगा  .

आपके साथ दूसरे अच्छा व्यहार करें इसकेलिए आवश्यक है कि परिवर्तन अपने अन्दर लाने  का प्रयास करें। 
 जब आप हर रोज अपने आप को अंदर से बेहतर बनाने के लिए प्रयास करते है, तो आपको दूसरों के द्वारा आप के साथ किये जाने वाले परिवर्त्तन का एहसास शुरू हो जाएगा। आप अंदर से जितना शांत होते जायेंगे आपका जीवन उतना ही शान्त और सुंदर होना शुरू हो जायेगा।आप जितना प्रसन्न रहना शुरू करेंगे आप के जीवन में शान्ति आनी  शुरू होगी आपके निर्णय अच्छे होते चले जायेंगे और सफलता आपके पीछे पीछे चलेगी। याद रखिये मुस्कराने के लिए सफलता का इन्तजार करने कि जगह आप मुस्कराना शुरू कर दीजिये और आप सफल होना शुरू हो जायेंगे।



अजय सिंह 

Wednesday, January 15, 2014

मेरे सदगुरु





  कहाँ मुझ में कोई कमाल  रखा है ,"मेरे मालिक "मुझे तूने ही संभल रखा है
  मेरे ऐबो पर दाल के परदा, मुझे अच्छे लोगो के साथ डाल  रखा है
    मेरा नाता अपनों से जोड़ कर,तूने हर मुसीबत को टाल रखा है
मैं तो कब का मिट गया होता ,सतगुरु बस तेरी रहमतो ने मुझे संभल रखा है