Wednesday, February 19, 2014

बनना है महान तो करे अपना सम्मान

प्रिय दोस्तों,
क्या आपने अपने आस पास ऐसे  लोगो को देखा  है जो हमेशा कभी अपने को कभी तक़दीर  को या फिर परिस्थितिओं को दोष देते रहते है ? कहीं आप भी तो उन लोगो के जैसे तो नहीं है? यदि हाँ तो सावधान हो जाइये क्योकिं आप अपनी ताकत का बहुत बड़ा भाग असम्भव को सम्भव  बनाने में खर्च कर रहे है। दरअसल आप बाहरी परिस्थितिओं को एक सीमा से ज्यादा कंट्रोल नहीं कर सकते है,इसलिए आपको अपनी आन्तरिक परिस्थितिओं को बनाने वाले मन पर काम करना पड़ेगा। और इसके लिए विशेष प्रशिक्षण और अभ्यास की जरुरत पड़ेगी। प्रशिक्षण आसान है लेकिन बिना निरंतर अभ्यास के प्रशिक्षण प्रभावी नहीं होता इसलिए अपेक्षित परिणाम पाने के लिए आपको अपने आप से वचनबद्ध करना आवश्यक है।

आइए जरा यह समझने की कोशिश करे की जब हम अन्दर से परेशान होते है तो हमें ज्यादातर चीजे ख़राब क्यों लगने लगती है और क्यों खुश  होने पर वही चीजे अच्छी लगती है।असल में आपके चारो तरफ वही सबकुछ होता है जो आपके अन्दर चल रहा होता है। इसलिए बाहर की परिस्थितियो को ठीक करने के लिये हमें अपने ऊपर ही काम करना है।दरअसल आपके चारो तरफ की दुनिया आपके अन्दर जो कुछ चार रहा है उसका एक प्रतिबिम्ब मात्र है।

जिस  समय आप अस्तव्यस्त और अव्यवस्थित होते है तो आपके बाहर की दुनिया में लोग तनाव पूर्ण और
गुस्से में करते हुए मिलेंगे। जाहिर है की ऐसा कोई जान बूझ कर नहीं कर रहा है लेकिन यदि आप कुछ पुरानी  घटनाओ का विश्लेषण करेंगे तो आप को इनमे आपस का सम्बन्ध स्पष्ट हो जायेगा।

अब अपने अन्दर क्या परिवर्तन लाना है ताकि स्थितियो में सुधार हो  और इसको कैसे लायेंगे पर जरा विचार कर ले।यह परिवर्तन लाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण और पहल कदम है अपने लिए समय निकालना। आमतौर पर हम दिनभर नित्य के कामो में इतना व्यस्त रहते है की अपने लिए समय ही नहीं बचता। इसका सबसे अच्छा और उचित उपाए यह है की आप जितने बजे भी सो कर उठते है उसमे आधा घंटे का समय कम करे और इस समय का उपयोग दस मिनट मौन में बैठ कर ईश्वर  से  दिन के शुभ और  दिनभर किये जाने वाले प्रयासों को सार्थक बनाने की प्रार्थना करे। अपनी दिनचर्या में प्रातः दस -पंद्रह मिनट का समय अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्यायाम करके शुरू करे. प्रार्थना और व्यायाम से शुरू किया जाने वाला दिन आपके लिये अति शुभ परिणाम लायेगा  .

आपके साथ दूसरे अच्छा व्यहार करें इसकेलिए आवश्यक है कि परिवर्तन अपने अन्दर लाने  का प्रयास करें। 
 जब आप हर रोज अपने आप को अंदर से बेहतर बनाने के लिए प्रयास करते है, तो आपको दूसरों के द्वारा आप के साथ किये जाने वाले परिवर्त्तन का एहसास शुरू हो जाएगा। आप अंदर से जितना शांत होते जायेंगे आपका जीवन उतना ही शान्त और सुंदर होना शुरू हो जायेगा।आप जितना प्रसन्न रहना शुरू करेंगे आप के जीवन में शान्ति आनी  शुरू होगी आपके निर्णय अच्छे होते चले जायेंगे और सफलता आपके पीछे पीछे चलेगी। याद रखिये मुस्कराने के लिए सफलता का इन्तजार करने कि जगह आप मुस्कराना शुरू कर दीजिये और आप सफल होना शुरू हो जायेंगे।



अजय सिंह 

No comments:

Post a Comment