Sunday, March 24, 2013

धन्यवाद करने की आदत है कामयाबी की गारन्टी

"थैंक यू सर,यदि आपने  समय पर मेरी मदद न की होती तो शायद मैं आज यहाँ नही होता बल्कि कहीं गुमनामी के अँधेरे में पड़ा अपने भाग्य को कोस रहा होता "  ऐसे संवाद आपने  जरुर सुने और किये होंगें। लेकिन यह महज एक संवाद नहीं बल्कि अपने ऊपर हुई कृपा की ईश्वर को  आभारोक्ति है और क्योंकि पृथ्वी पर कृपा का माध्यम मनुष्य है इसलिए यह प्रतिदान उस मनुष्य को है जिसने  ईश्वर का उपहार आप तक पहुँचाया है।

धन्यवाद या थैंक यू  केवल दो शब्द नहीं है बल्कि यह जिन्दगी में सौभाग्य और कामयाबी की गारन्टी है।आमतौर पर शिष्टाचार वस् प्रयोग किये जाने वाले यह शब्द आपके लिए केवल सफलता का द्वार  ही नहीं खोलते है  अपितु यह आपके लिए वह चमत्कार कर सकते है जो शायद अन्यथा संभव नहीं है।बस जरुरत केवल इस बात की है कि  इसका जादुई इस्तेमाल कब कहाँ और कैसे करना है यह सीख कर सही समय पर सही तरीके से इस्तेमाल किया जाये।

आमतौर पर हम किसी एहसान या कृपा के लिये तो धन्यवाद शिष्टाचार वस कर देते है लेकिन अगर कोई बात मन मुताबिक न हो तब तो किसी प्रकार का आभार व्यक्त करना तो दूर उसे उल्टा  सीधा बोलने भी में  देर नहीं लगाते है। जबकि सत्य यह है की  अच्छी बातें तो अच्छे के लिए  होती ही है किन्तु प्रत्यक्ष ख़राब लगने वाली बातें भी अच्छे के लिए ही होती है। उदाहरण के लिए माता -पिता उपहार दे तब तो धन्यवाद करना स्वाभाविक है किन्तु परीक्षा में नम्बर कम आने पर   या किसी बात को छुपाने के लिए आप झूठ बोले और वोह पकड़ा जाये उसके बाद पड़ने वाली डांट -पिटाई को भी यदि हम ईश्वर के द्वारा सही राह दिखाने वाला मान कर धन्यवाद  वयक्त कर सके तो वास्तव में जीवन में अकल्पनीय परिवर्तन हो जाता है क्योकिं  विपरीत और अप्रिय परिस्थितयों में भी आभार प्रगट कर पाना आपके जीवन में चमत्कार कर देता है।इसका कारण है आभार प्रकट करना सामने वाले के द्वारा किया जाने वाले काम की आपके द्वारा स्वीकारोक्ति है और स्वीकार एक प्रकार का समर्पण है जो अहंकार को ख़त्म करता है जो कि  ज्यादातर बुराइयों का कारण होता है।

इसी प्रकार  जब हम अपने साथ किये जाने वाले  छोटे -छोटे उपकारो के लिए धन्यवाद प्रकट करते है तो सम्बन्धो में मिठास बढती है और हम अपने लिए सकरात्मक वातावरण तैयार करते है जो हमारे जीवन में एक सीढ़ी का काम करती है और ईश्वर के द्वारा की जाने वाली कृपा को आकर्षित करती है।

यदि आपके पास वह  सबकुछ नहीं है जो आपको चाहिये तो  इसलिए ईश्वर का  धन्यवाद कीजिये क्योकिं यह स्थिति आपको सदा आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा देती है। सिकंदर एक बार  जब युद्ध के लिए निकल रहा था अचानक उसका बेटा रोने लगा। सिकंदर ने अपने बेटे से कहा मैने तुम्हारे लिये आधी  दुनिया जीत ली है और बाकी जीतने  के लिए  मैं फिर  युद्ध करने जा रहा हूँ बेटे ने कहा की इसीलिए तो रो रहां हूँ की यदि आप सब जीत  लेंगे तो मेरे करने के लिए क्या बचेगा और मेरे बाद फिर लोग मुझे किस बात के लिए याद रखेंगे।

 जो कला ,जो ज्ञान आपके पास नहीं है उसका धन्यवाद कीजिये क्योकि यह आपको नया सीखने  के लिए उत्साहित करता है।जीवन में आने वाली कठनाईओं  का धन्यवाद कीजिये क्योकि यह चुनौतिया ही आपको श्रेष्ठ काम करने के लिए प्रेरित करती हैं और इनको जीत  कर आप अपनी उपयोगिता सिद्ध करते है।

अपनी कमियों का भी धन्यवाद करें यह कमिया आपके लिए  उन्नति के नए  अवसर लाती है।हर नई चुनोती आपकी ताकत  बढाती है  और चरित्रवान बनती है।अपनी गलतियो का भी धन्यवाद करे क्योंकि यह आपको जीवन की पाठशाला के महत्वपूर्ण  पाठ  सिखाती है।

आज और अभी से धन्यवाद देने की आदत बनाइये और इसके लिए किसी बड़े मौके की तलाश न करके हर छोटे बड़े मौके पर इसका खूब उपयोग करे तो जीवन में सकारात्मक परिवर्तन निश्चित ही आने शुरू हो जायेंगे। सुबह उठ कर सबसे पहले ईश्वर का धन्यवाद करे  जिसने आपको एक और दिन एक अवसर प्रदान किया कुछ अच्छा करने के लिए। इसके बाद जो लोग आपके जीवन के सहभागी है उनका धन्यवाद करे क्योकि उनके सहयोग के बिना जीवन को  इतना सुन्दर व्यतीत करना संभव नहीं है और दिन के अंत में सोते समय पुनः ईश्वर का धन्यवाद जिसने आपका दिन इतना सुन्दर बनाया की आप अपने जीवन को  परिवार और समाज के लिए उपयोगी बना सके। 

अजय सिंह 


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