Saturday, April 20, 2013

आम नहीं खास बने सफलता के लिये

अब जब आपने आम से खास बनने का संकल्प कर ही लिया है तो  इसका रहस्य  समझ ले और कैसे बने आम
से खास इसका नुस्खा आप भी आजमाये और बस बन जाये आम से खास। लेकिन पहले अपने आप से एक प्रश्न करे की आखिर क्यों बनना चाहते है आप आम से खास। क्या इसलिए की खास लोगो को जो सुख सुविधाये मिलती है वह आम आदमी को नहीं मिलती या खास लोगो को जो सम्मान मिलता है वह आपको भी आकर्षित करता है।चलिये कारण कोई भी हो आम से खास बनने का तरीका सरल है और आप थोड़ा ध्यान से इसका अभ्यास शुरू करे और फिर देखिये अपने आप को आम से खास बनते हुए।

ख -अ -स  तीन शब्दों से बना है यह शब्द। ख का मतलब है खुश रहे खुशिया बांटे, अ का मतलब है आश्चर्य करना सीखे, आश्चर्य  करे और स का मतलब है सराहना करना। जब आप खुश रहते है तो आप अपने पास ऐसे लोगो को आकर्षित करते है जो खुश है।और यह खुश है  अपनी उपलब्धियों के कारण। यह लोग  खुश है अपनी समृधि के कारण।यह लोग  खुश है  समाज में अपने उच्च संबंधो के कारण। जब आप ऐसे लोगो को आकर्षित करते है तो खुशिया स्वयं आपकी ओर आकर्षित होती है। इसी तरह जब आप आश्चर्य करते है ईश्वर की बनाई हुयी हर उस चीज को देख कर तो आप एक तरह से आप उसकी  सराहना कर रहे होते है। इससे आपकी ईश्वर से आपकी नजदीकी बढती है नतीजन आप के जीवन में भक्ति बढती है और जीवन श्रेष्ठता की ओर बढ़ता है। सराहना करने  की आदत से आपके व्यक्तिव चुम्बकीय बनता है और आपके आपस में सम्बन्ध अच्छे होते जाते है और जब आपकी टीम और सहयोगी आपका सम्मान बढ़ता है और आप धीरे धीरे सफलता की सीढियाँ चढ़ते जाते है। सफल लोग ही तो खास होते है और यही आपका भी उद्देश्य  है।

आप सोचेगे की सुबह से शाम तक तरह तरह की  कठिनाइयाँ  सहते हुए आखिर  खुश कैसे रह सकते है, तो हम आपको बता दे यदि आप की खुशियाँ बाहरी चीजो या लोगो पर निर्भर है तो फिर आप जिन्दगी भर खुशियाँ  बस ढूंढ़ते  ही रहिये और वह जंगल की रेत में पड़ने वाली धूप की तरह पानी का आभास तो देगी लेकिन वहां पानी कभी नहीं मिलेगा क्योकिं असल में वहां पानी है ही नहीं।दरअसल खुश रहना एक आदत जो बाहरी चीजो और सम्बन्धो पर निर्भर नहीं करता है  बल्कि आपकी मानसिक स्थित को परिलक्षित करता है। नतीजतन  खुश रहने से आपका व्यक्तित्व चुम्बकीय बनता है और आप सफल और खुश लोगो को आकर्षित करते है और यह आपको भी सफल लोगो के साथ खड़ा करता है। इस तरह  सफलता के लिए आवश्यक गुणों का अभ्यास करते हुये आप भी उस श्रेणी में कब  शामिल हो गये पता भी नहीं चलता।

सुबह सूरज बिना किसी के प्रयास के निकलता है और फिर समय से डूब जाता है। फूल बिना किसी मदद के अपने आप खिलते और खुशबू देते है।वृक्ष  बिना किसी निर्देश के अपने आप समय पर फल  देते    है और पकने पर अपने आप गिरते है। क्या आपको  कभी प्रकृति के स्वभाव पर आश्चर्य हुआ है। यह सारी  चीजे अपने आप  इसलिए होती है की यह इनका अपना स्वभाव है। तो यदि आपने अब तक ईश्वर की  बनाई चीजो को देख और उसकी कला,खुबसूरती,समय बद्धता  को देख  आश्चर्य प्रकट नहीं किया है तो करे यह आदत आपको हर समय और हर जगह  ईश्वर की उपलब्धता का एहसास दिलाएगी और यही तो भक्ति है, यही तो तरीका है ईश्वर से निकटता का  । जरा देखिये तो कैसे अपने आप मौसम बदलते   है। कैसे अपने आप हवा चलती है कैसे अपने आप चीजे हो रही है और  इसे देख करिये ईश्वर का गुणगान।

सराहना करना और एक ऐसा गुण है जो आपको सफलता  की ओर अग्रसर करता है। जब आप किसी से मिलते है तो आप उसकी या तो सराहना  या आलोचना करते है। हर व्यक्ति का एक खास गुण होता है यदि आप उस गुण को जल्द से जल्द पहचान कर उसकी सराहना शुरू करने की आदत बनाये तो आपको इसके मौके भी जल्दी जल्दी मिलने लगेंगे। याद रखिये जब आप किसी लक्ष्य पर काम करते है तो वह लक्ष्य भी आप पर काम करता है। और इस तरह आप ईश्वर की बनायी चीजों की सराहना करके अप्रतक्ष्य तरीके से आप  ईश्वर की सराहना कर रहे होते है और दिनों -दिन उसके प्रिय होते जाते है और उसकी कृपा पाने के पात्र भी । ईश्वर का प्रिय होना ही तो जीवन की सच्ची सफलता है।

अब देर किस बात की है बस आज  और अभी से शुरू कीजिये खास बनने की तैयारी और खास बनने के लक्ष्य पर काम करना शुरू कीजये और बन जाइए खास।
अजय सिंह 


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