Every year New year celebrations are held to welcome coming year and seeoff the out going.It happens only once in a year beacuse Celebration of Joy is not an easy task ,it takes one full year to collect courage to enjoy when it is external ,it can be celebrated every day when it is internal and every moment when it is eternal. So on this auspicious day let us practice to make it internal and try hard to make it eternal.
पिछले ढाई हजार वर्षो में बहुत कुछ बदल गया है। लेकिन बुद्ध ने जो वचन कहे थे ,वह आज भी प्रासंगिक है। कारण हमारी समस्याऍ ,हमारे दुःख तो वही है बस उनका रूप बदल गया है। बुद्ध के समय में शान्ति पूर्ण और मैत्री पूर्ण होने की जितनी जरुरत थी उतनी ही आज भी है। बुद्ध ने दुःख से मुक्ति के आठ रास्ते (अष्टांगिक मार्ग ) बताये थे ,ताकि हमारा जीवन शांति पूर्ण और आनन्दित हो सके।
सम्यक दृष्टि :जीवन की हर घटना को देखने की दृष्टि सकारात्मक है या नकारात्मक। इसी पर निश्चित होता है की हमारा जीवन कैसा होगा। हम तथ्यों को स्वीकार करने की जगह हर घटना के साथ एक कहानी गढ़ लेते है। बुद्ध कहते है ,सम्यक दृष्टि वाही है जो कथाओं से मुक्त हो और घटना को सकारात्मक होकर देखती हो।
सम्यक जागृति :झगड़ते समय हम यह ही सोंचते है की हम ठीक है और दूसरे गलत। हम अपने को सही सिद्ध करना चाहते है। हम बदला लेने में भी विश्वास रखते है। जबकि क्षमा एक बेहतर विकल्प है। अतीत से सबक लेकर उसे भूल जाना ही सही है। यही सम्यक जाग्रति है।
सम्यक कर्म:बुद्ध कहते है हर एक व्यक्ति अतुलनीय है। व्यक्ति के असाधारण गुणों में रंगत लाने के लिए किये गए हर काम को उन्होंने सम्यक कर्म माना है। हमारा जीवन असाधारण इस लिए नहीं बन पाया है की हम अपनी असफलताओं को स्वीकार नहीं करते। यदि हम कारण बताने ,तर्क देने और भाग्य अथवा किसी और को दोष देने के बजाय अपनी असफलताओं को स्वीकारना सिख ले तो हमारा जीवन स्वयं ही सम्यक कर्म बन जायेगा।
मधुर सम्बंध :बुध का सन्देश है की शांति और स्थिरता के बीज बोएं सम्बन्धों में मिठास के रंग भरे। कुछ भी कहने -करने से पहले यदि आप विचलित अनुभव करते है तो उस समय कुछ न करे । लेकिन यदि आप शांत अनुभव करते है तब अवश्य ही कुछ करें। साथी कर्मचारिओं और मित्रो के साथ पूरे सम्मान व विश्वास के साथ सहयोग करे।
सम्यक वाणी व शील : हर किसी के साथ विनम्र व शीलवान रहिये। विनम्रता और सम्वेदना आधुनिक जीवन को शीलवान बना सकते है।
सम्यक संकल्प : बुद्ध कहते है ,जीवन को दिशा देने के लिए संकल्प अनिवार्य है। हर क्षेत्र में विकास के लिए दृढ संकल्प चाहिए। हमें विचार करना होगा की आखिर हम चाहते क्या है। इसके लिए अतीत से मुक्त होकर वर्तमान में जीना और अपनी शक्ति सामर्थ्य ,साहस और परिस्थितियों का अवलोकन जरुरी है। इसके बाद ही कोई निर्णय ले अथवा लक्ष्य निर्धारित करे। फिर संकल्प की घोषणा करे।
सम्यक ध्यान व समाधि :बौद्ध उपदेश में ध्यान को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। बुध ने कहा है जागरूक होकर आनंद पाना "सम्यक समाधि' है। ध्यान पूर्ण जागरूकता की अवस्था है। जब हम अपनी आती जाती साँस ,क्रोध अशांति ,क्षोभ तनाव के प्रति जागरूक होते है ,तब हम पूर्ण जागरूकता की अवस्था में होते है।
सम्यक स्वीकार :जो हुआ अच्छा हुआ। जो है वह अच्छा है जो होगा अच्छा होगा। यह भाव है सम्यक स्वीकार। पूरी लगन निष्ठा और ईमानदारी के साथ काम करे लेकिन परिणाम जो भी है बिना किसी झिझक के स्वीकार करे। श्री कृष्ण का निष्काम योग कहता है हमारा अधिकार केवल कर्म पर है अतः अपने उद्देश्य और संकल्प पूर्ति के लिए लगातार अपना प्रयास जारी रखना चाहिये। यही सफलता का मूल मंत्र है।
अंत में
प्रसन्न व्यक्ति वह है जो निरन्तर स्वयं का मूल्यांकन करता है और दुखी व्यक्ति वह जो सदैव दूसरों का मूल्यांकन करता है।