Sunday, February 18, 2018

आज का भगवद चिन्तन

आज का भगवद चिन्तन

           
       अमर हो जाने का अर्थ आयु का बढ़ जाना नहीं है अपितु कीर्ति का चारों तरफ फ़ैल जाना है। आदमी मर कर भी अमर हो सकता है और जीते जी भी मर सकता है।
       जो जीवन समाज के लिए अनुपयोगी बन जाता है उसका जीवन उस जड़ वृक्ष से भी तुच्छ है जो फल ना दे कम से कम छाया तो प्रदान करता है। फूल की आयु ज्यादा लम्बी नहीं होती। वह कुछ समय के लिए खिलता है और अपना सौन्दर्य बिखेरकर चला जाता है। 
 
  जितना समय आप परमार्थ में जीते हैं उतनी आयु आपकी स्वतः अमर हो जाती है और दूसरों के लिए किया गया वो कर्म भी लोगों के दिल में रहता है। जितना जीओ मै और मेरे से ऊपर उठकर जिओ। यही अमरता है।
 
 
 
      

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