Monday, June 1, 2020

*"धन्य है प्रभु तेरा इशारा"*

*"धन्य है प्रभु तेरा इशारा"*
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. एक झटके में घुटनों पर ला दिया समस्त मानव   जाति को!
उड़े जा रहे थे,
उड़े जा रहे थे 
कोई चाँद   पर कब्जे की तैयारी कर रहा है तो
कोई मंगल पर, 
कोई सूरज  को छूने की कोशिश कर रहा है तो
कोई अंतरिक्ष में आशियाँ ढूँढ रहा है!
चीन पड़ोसी देशों की जमीन हड़पने की तैयारी में था/है
तो रूस और अमेरिका nuclear power   के नशे में पूरे विश्व को ध्वस्त करने की कोशिश में लगे हैं!
कहीं धर्म के नाम पर नरसंहार चल रहा है तो  कहीं जाति के नाम पर अत्याचार!
छोटे-छोटे बच्चों  के बलात्कार किये जा रहे हैं!
मानवता तो जैसे समाप्त ही हो चुकी है!
ईश्वर ने मानो इशारा किया है -
कि,"मैंने तो तुम लोगों को इतनी खूबसूरत धरती पर, स्वर्ग के मानिंद, रहने के लिए भेजा था
मगर, तुम लोगों ने तो इसे नर्क बनाकर रख दिया!
मेरे लिये तो आज भी तुम सभी, एक छोटे से प्यारे से परिवार    की तरह हो।
मुझे नहीं पता कि कहाँ चीन की सीमा खत्म होकर भारत की सीमा शुरू होती है?
कहाँ ईरान है? कहाँ इटली?? और कहाँ जर्मनी???
ये सीमाएँ तुम लोगों ने बनायी हैं!
मुझे नहीं पता कि कौन ईसाई  है? कौन मुस्लिम ? कौन हिन्दू ? कौन यहूदी ?और कौन बौद्ध है?
मुझे नहीं पता कि कौन ऊँची जाति का है? तो कौन नीची जाति का?
मैंने तो सिर्फ़ इंसान बनाया था!
क्यों एक दूसरे को मार रहे हो?
प्यार से क्यों नहीं रह पा रहे हो?
जानते हो कि सब छोड़कर मेरे पास ही आना है!
तब भी छीना-झपटी, नोचा-खसोटी और कत्ले-आम मचा रखा है!
अभी तो मैंने तीसरा नेत्र  थोड़ा सा मिच-मिचाया है!!
संभल जाओ और सुधर जाओ  !
फिर मत कहना कि मैंने मौका नहीं दिया
एक बार *वसुदेव-कुटुम्बकम* की तरह रहकर तो देखो,
सब ठीक हो जाएगा।


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