Monday, June 1, 2020

करोना के सबक

सबसे पहले इस सच को समझिए कि पूरी दुनिया भले हथियारों की होड़ में लगी रही सैन्य बल को सब बढ़ाते रहें पर असल में अब युद्ध जीतने के लिए ना तो हथियार की जरूरत है ना सैन्य बल की अगर करो ना वायरस का सच कभी खुला और पता चला कि यह एक ऐसा युद्ध था जिसे बिना किसी गोला-बारूद और तोपों की धमक के ही कोई जीत गया तो आप हैरान मत होना। 


दूसरा सच समझ में आ गया कि जिस यूरोप की ओर हम नजरें झुका कर देखते थे कि वह हमसे अधिक ज्ञानी हैं वह असल में उतना ज्ञानी नहीं था इस बीमारी ने यह भी साफ कर दिया है कि अमीर लोग भले गरीब लोगों के सामने शक्तिशाली  होने का भ्रम पैदा करते हैं पर असल में उनमें रोग से लड़ने की शक्ति गरीब से कम ही होती है।  यह तीसरा संदेश है दुनिया के संदर्भ में लिखने वाले ने यह भी लिखा है कि अब तक किसी फुटबॉल खिलाड़ी क्रिकेट खिलाड़ी और टेनिस खिलाड़ी को हम बहुत बड़ा मानते रहे हैं पर इस बीमारी में यह साफ हो गया है कि पूरी दुनिया में एक डॉक्टर की अहमियत किसी भी सेलिब्रिटी खिलाड़ी से ज्यादा है इतना ही नहीं समय ने यह भी साबित किया है कि कोई पंडित पुजारी जोशी पादरी या मौलवी एक भी मरीज को ठीक नहीं कर सकता आदमी की बीमारी सिर्फ  डॉक्टर ही ठीक कर सकता है। 

मतलब एक अदृश्य बीमारी ने बहुतों की कलई खोल दी है इतना ही नहीं करोना वायरस में एक साथ खुलकर सामने आ गया है कुदरत खुद को बहुत जल्दी ठीक कर लेती है आदमी बेवजह इस झूठ को जीता है कि वह प्रकृति को ठीक करेगा बड़ा खुलासा इस बीमारी में यह हुआ है कि फिल्मी सितारे सिर्फ कागजी हीरो होते हैं असली हीरो नहीं।  हम बेवजह ही उन्हें इतना भाव देते रहे हमें यह भी समझ लेने की जरूरत है कि कुदरत ने हमें जो खाने के लिए दिया है हमें वही खाना चाहिए। खाने पर ज्यादा प्रयोग की जरूरत इसलिए नहीं क्योंकि इस पर सारे प्रयोग हो चुके हैं हमारी दादी नानी ने जो हमें बताया है वही सही है इतना तो समझ ही लेना चाहिए कि अधिकतर लोग बिना जंक फूड के आराम से रह सकते है। 


ज्ञान तो कई प्राप्त हुए लेकिन एक ज्ञान जो बहुत अहम है वह यह कि जिंदगी को जीने के लिए बहुत सारे पैसों की जरूरत नहीं होती इस बात के कई मायने हो सकते हैं आपको अपने हिसाब से इसको समझना होगा पर अभी तो इतना ही कहना काफी होगा कि करो ना वायरस ने आदमी को जीवन का अनमोल पाठ पढ़ाया है ऐसा पाठ पढ़ाने के लिए प्रकृति १००-२००  साल में एक बार आती   है। धन्य है संसार में मौजूद बेशक 7000000000 लोग जिन्हें अभी पाठ पढ़ने का मौका मिला है तो मेरे प्यारे मित्रों आप भी इतना तो मान ही लीजिए कि जिंदगी जीने के लिए है जीने की तैयारी में खर्च कर देने के लिए नहीं।  एक पाठ और याद रखने योग्य है कि जीवनसत्व क्षणभंगुर है इसे संभाल कर जीना चाहिए फिलहाल के लिए सबक है अपने खर्चों पर नियंत्रण रखिए ज्यादा के फेर में मत पढ़िए और रिश्तो को अहमियत दीजिए जीवन का मूल संदेश यही है मंजिल पर जाकर याद आता है आदमी मुसाफिर है आता है जाता है आते जाते रस्ते में यादें छोड़ जाता है।


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