Monday, June 1, 2020

सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो


वैसे तो मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जिसका जिसके पास मन और बुद्धि दोनों है।  बाकी प्राणियों के पास बुद्धि  तो हो सकती है पर मन नहीं अब इस मन की  जो कारस्तानी हैं वह कितनी गजब है इसको समझना बड़ा मुश्किल काम है।  वास्तव में दुनिया में बहुत सारी कल्पनाओं पर काम हुआ है एक से बढ़कर एक साइंस फिक्शन लिखे गए हैं एक से बढ़कर एक उपन्यास लिखे गए इनकी कल्पनाओं को आप देखें आश्चर्यचकित रह जाएंगे कि वास्तव में आदमी का दिमाग कहां तक पहुंच सकता है।  लेकिन शायद किसी के दिमाग में आज तक यह नहीं आया कि अगर पूरी दुनिया में 40 50 दिन या इससे भी ज्यादा एक जगह से दूसरी जगह जाना आना संभव ना हो लोगों से मिलना जुलना संभव ना हो यहां तक कि लोग आपको बुला रहे हैं और आप उनके पास जाने से कतरा रहे हैं इस स्थिति का शायद भान दुनिया में किसी भी लेखक को नहीं था करोना  के आने के बाद अभी जो वास्तविक स्थिति है दुनिया में वह तो यही है आप अपने घर में बैठे हुए हैं काम कर रहे हैं आनंद ले रहे हैं लेकिन कहीं आ जा नहीं सकते। आपको लोग बुला रहे हैं लेकिन मिलने से कतरा रहे हैं और ऐसा आपको करोना के डर से करना पड़ रहा है ऐसी ही कुछ परिस्थितियों का वर्णन कर रहा हूं।
आदमी को पहली बार समझ में आ रहा है कि आपके पास पैसे तो हो सकते हैं लेकिन दुकानें नहीं खुली है इसलिए आप शाम को सामान खरीदने की अनुमति नहीं है आपके पास वह सब सुविधाएं हैं मसलन कार है चला नहीं सकते ऑफिस है जा नहीं सकते नौकर हैं फिर भी घर का सारा काम आपको करना पड़ रहा है ऐसी स्थिति शायद कल्पना के बाहर थी इसीलिए किसी उपन्यासकार ने अपनी किसी कहानी में इस तरह की फंटेसी का वर्णन नहीं किया है।
 


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