Monday, June 1, 2020

बेकार की बातें


जी हां जिन बातों को पहले कभी नहीं कहा गया या उन पर कोई सार्थक चर्चा नहीं की गई इसका मतलब की उन बातों की जीवन में ज्यादा अहमियत नहीं है।   ऐसा भी हो सकता है उन बातों की अहमियत बिल्कुल भी ना हो लेकिन धीरे धीरे जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है अनुभव आते हैं तो बहुत सारी चीजें समझ में आती है कि जिनको हम बेकार समझते थे वह बहुत काम की लगने लगती हैं। जिनको हम बहुत काम की समझते थे वह बेकार लगते लगने लगती हैं ऐसा भी हो सकता है कि यह समय की वजह से हो क्योंकि एक  चीज किसी समय ठीक लगती है और वही दूसरे समय खराब लग सकती है इसलिए यह कहना मुश्किल है कि कोई चीज हमेशा के लिए खराब है या हमेशा के लिए अच्छी है। समय स्थान दशा इत्यादि बहुत से ऐसे कारक हो सकते हैं जिनकी वजह से कोई चीज उपयोगी या अनुपयोगी लगती है। मसलन किसी जमाने में चूहा मिट्टी का चूल्हा बहुत उपयोगी होता था आज के जमाने में शायद उसका उपयोग करना भी बहुत से लोगों को नहीं पता होगा इसका मतलब चूल्हे की उपयोगिता खत्म हो गई ऐसा बिल्कुल नहीं है हां अब क्योंकि बेहतर विकल्प उपलब्ध है इसलिए मिट्टी के चूल्हे की उपयोगिता समझ में नहीं आ रही है। 


मैं आज कुछ ऐसी ही बातों का  जिक्र आप लोगों के बीच करने जा रहा हूं जो मैंने अपने अनुभव से सीखी हैं और वह प्रचलित बातों से भिन्न है बहुत संभव है कि आप मेरी बात से बिल्कुल सहमत ना हो या थोड़ा बहुत सहमत हो लेकिन मेरे यह विचार मेरे अपने हैं और जो मैंने अनुभव किए हैं उन पर आधारित है तो यह निश्चित है अगर आपके अनुभव मेरे अनुभव से भिन्न है  तो आपका मेरे विचार के साथ सहमत होना निश्चित रूप से मुश्किल होगा। आइए एक-एक कर हम लोग इन बातों पर विचार करते हैं।

मूर्ख मकान बनाते हैं और अकल मन उसमें रहते हैं


आज से कोई 100 या 200 बरस पहले यह कहावत कहीं गई।  हम सब लोगों को यह बात विरासत में मिली है मेरा अनुभव है कि इस महंगाई के जमाने में यह बिल्कुल ठीक बात है क्योंकि मकान बनाने में जो लागत लगती है जो समय लगता है जो मेहनत लगती है और उसके बाद जो उस पर रिटर्न मिलता है वह शायद उस अनुपात से भिन्न होता है जिस अनुपात में लागत और मेहनत लगी है। 


लेकिन मकान बनवाना केवल इसलिए मूर्खता समझी जाए कि उस पर लगाए पैसों पर समुचित लाभ नहीं मिलता तो शायद यह कहना बहुत अकल मंदी  का काम नहीं होगा असल में मकान बनाने का संबंध केवल पैसे की  लागत पर मुनाफा या लाभ नहीं होता। मकान के साथ 2-3 बड़ी महत्वपूर्ण बातें जुड़ी होती है।  पहली बात अगर आपने छोटी उम्र में अपना मकान बना लिया तो यह एक बड़ी उपलब्धि माना जाता है इससे आपको एक  तरीके की सुरक्षा की स्वाभाविक अनुभुति  होती है  यानी कभी किसी समय जीवन के किसी पड़ाव पर अगर आमदनी में कोई समस्या हो तो कम से कम सर के ऊपर एक छत  है यह बात बढ़ा सुख और संतोष देती है। 


लेकिन जब आप इस मकान को  पैसे  उधार लेकर बनाते हैं और 20 साल तक या 25 साल तक अपने ऊपर हर महीने उधारी चुकाने की  एक लायबिलिटी पालते हैं तो इसका बड़ा सीधा परिणाम होता है कि आपको अगले 20- 25 साल लगातार किसी भी स्थिति में किसी भी परिस्थिति में मकान की किस्ते  चुकाने की व्यवस्था तो करनी ही होगी नहीं तो आपने जो मेहनत करके स्कोर खड़ा किया है वह बेकार हो जायेगा।  अतः इस बात का आकलन करना बहुत आवश्यक है की कहीं मकान बनाने के चक्कर में आप अपने को अपनी स्वतंत्रता को गिरवी तो नहीं रख रहे है। 


 जिंदगी के एक पड़ाव पर जो चीजें बहुत सुख देती है जिंदगी के दूसरे पड़ाव पर वही चीजें दुख देती हुई लगती है। यह बात मकान के लिए भी ठीक है जब आप मकान बनाते हैं और उस वजह से आप अपने को अगले 20- 25 साल सुरक्षित  महसूस करते हैं ,चिंता मुक्त महसूस करते हैं तब तक तो यह ठीक है।  फिर जीवन की दूसरी पाली में आपके बच्चे बड़े हो जाते हैं उनकी अपनी आवश्यकताएं आपकी आवश्यकताओं से भिन्न होती हैं उनका काम करने का तरीका काम करने का स्थल भी आप की जगह से फर्क होता है तब यह मकान आपको डैडी की तरह लगता है क्योकीं  आपने इसमें बहुत दिन बताए हैं इसके साथ आपका गहरा भावनात्मक संबंध है इसलिए  इसको बेचना और बेचकर नए शहर में बच्चों के साथ शिफ्ट हो जाना आसान नहीं होता। नए लोग नया शहर नई स्थितियां और आपके बेटे का मकान यानी अब आप अपने बेटे के साथ रह रहे हैं पहले वही  बेटा आपके साथ रह रहा है।  अब यह बात बहुत बार कष्टदायक  भी होती है और आपके स्वाभिमान को भी चोट पहुंचती है। लेकिन यदि आप ऐसा नहीं करते और आप और आपका बेटा अलग अलग रहता है तो दोनों परिवारों के बीच में हमेशा एक चाहत रहती है। माता-पिता चाहते हैं कि बेटा मेरे पास आ जाए और बेटा बहू चाहते हैं माता-पिता मेरे पास आ गए ताकि बिना ज्यादा तकलीफ के पूरा परिवार एक साथ आनंद से रह सके।


इन परिस्थितियों में यह तय करना मुश्किल काम है कि मकान अकलमंद बनवाते हैं या  मूर्ख बनाते हैं मेरा मत है कि रहने के लिए एक मकान आवश्यक है आपने अपना बनाया तो भी ठीक है अगर यह परिवार से आपको मिल रहा है तो भी ठीक है लेकिन एक से ज्यादा मकान बनाना किसी भी हालत में अकल मंदी  का काम नहीं है। 

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