Monday, June 8, 2020

अजगर करे न चाकरी



दोस्तों ,

एक कवि हुए हैं  मलूक दास जिनकी यह पंक्ति जन-जन की जुबान पर है "अजगर करे ना चाकरी पंछी करे न काम दास मलूका कह गए सबके दाता राम"। यह पंक्ति सुभाषित जैसी है मलूक दास के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी नहीं मिलती यह भी नहीं पता चलता कि इसके अलावा उन्होंने और कुछ लिखा भी है या नहीं।  निश्चय ही वह भक्त कवि रहे होंगे उन्होंने अपने आराध्य राम की प्रशंसा में यह कहा लेकिन सोचिए यह कितनी पिछड़ी हुई और प्रतिक्रियावादी बात है। यह कर्म विरोधी है जो मनुष्य को अकर्मण्य  बनाने वाली है फिर ये वास्तविक रूप से गलत है यह कहना सही नहीं  की पंछी काम नहीं करते। 


वे अपनी जरूरतों के लिए बहुत मेहनत करते हैं एक-एक दाने के लिए वे दूर-दूर तक जाते हैं घोंसला बनाने के लिए तिनके चुन कर लाते हैं। सच्चाई यह है कि पंछियों की दिनचर्या बिल्कुल मनुष्य की तरह निश्चित होती है वे भी  एक निश्चित जगह दाना पानी के लिए जाते हैं और तय समय पर अपने ठिकाने पर लौटते हैं। यह मेरा प्रत्यक्ष अनुभव है गाजियाबाद के वसुंधरा में जहां मैं रहता हूं रोज सुबह आकाश में पंछियों की कतार पूरब की ओर जाती हुई दिखती है फिर शाम में एक कतार पूर्व से पश्चिम की ओर जाती है। 


मैंने इसे कई दिनों तक गौर किया।  एक दिन मैं शाम के वक्त कौशांबी इलाके में था जो मेरे घर के पश्चिम में है वहां मैंने देखा कि मेरे इलाके से पक्षी आकर पेड़ों पर चले गए वह सब चीजें थी मैं समझ गया यह वही कतार है जो मुझे सुबह अपने घर के ऊपर दिखती है।  फिर गाजियाबाद में रहने वाले मेरे एक मित्र ने बताया कि वसुंधरा और दूसरे इलाकों से कई पक्षी हिंडन नदी के किनारे आते हैं और यहां दिन भर खाने पीने के बाद लौट जाते हैं। मैं समझ गया कौशांबी के पास के पेड़ों पर रहने वाली चिड़ियाँ  अपने भरण-पोषण के लिए हिंडोन के किनारे जाती है जहां उन्हें मछलियां और मेंढक इत्यादि  मिल जाते होंगे। मेरे मन में सवाल उठा कि यह हिण्डन  के आसपास के पेड़ों पर ही क्यों नहीं रह जाती अब इसका जवाब उन पक्षियों  के पास ही होगा कि उन्होंने अपना घर और दफ्तर जिस आधार पर चुना है।  वैसे लौटते समय यह  परिंदे सीधे नहीं लौटते आकाश में गोल गोल चक्कर काटते हैं कई बार घेरा बनाकर घूमने के बाद उनमें से एक एक छोटा समूह बारी-बारी से बाकी पक्षों से विदा लेता रहता है। कई पक्षी विज्ञानी कहते हैं कि पक्षियों की दिनचर्या केवल भोजन और प्रजनन तक ही सीमित नहीं है इससे परे भी है उनके जीवन में कई चीजें हैं वह भी खेल करते हैं मनोरंजन करते हैं यह बात मेरी समझ में तब आई जब एक तोता मेरे साथ रहने लगा और प्यार और गुस्से  जैसे भाव उसके भीतर भी स्पष्ट दिखते हैं। 

अजय सिंह "एकल "


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